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________________ ३५२ सरस्वत [भाग ३८ में ४२४३ वर्ष का मतभेद है। है कुछ ठिकाना! संसार हुए हैं। दूसरे एक एक वंशावली की कई प्रतिलिपियाँ के प्राचीनतम देश मिस और मेसोपोटामिया के इतिहास भिन्न-भिन्न स्थानों में पाई गई हैं और उन सबमें एक-सा के 'समय' की यह दुर्दशा है ! इस प्रकार सिन्धु-सभ्यता का ही राज्य-काल पाया गया है। .. भी कोई निश्चित काल नहीं हो सकता। वह भी सुमेर- इन वंशावलियों का मिलान करके मैंने इनको सभ्यता के अस्थिर समय के साथ घटेगा और बढेगा। काल-क्रम के सिलसिले में बैठाया है। पहली किश- सुमेर तथा बेबीलोनियन वंशावलियाँ .. वंशावली, दूसरी निप्पुर तथा तीसरी डब्ल्यू-बी० ४४४ अब यह देखना है कि क्या कोई ऐसा साधन नामक वंशावली है। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार हैउपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर संसार के पुरातन १-किश-वंशावली-इसमें सर्व-प्रथम सुमेर राजा इतिहास का कोई निश्चित और विश्वसनीय काल-क्रम उक्कुसि है। यह सर्वप्रथम सुमेर-राजवंश इरीदु के बनाया जा सके। हाँ, अवश्य उपलब्ध है बशर्ते कि हम राजवंश का प्रथम राजा था। इससे लेकर ६३वें उसकी ओर ध्यान दें। प्राचीन सुमेर-जाति के नगर राजा उराशतू के राज्य-काल के अन्त में गूती-सेनाओं निप्पुर, उर, किश, एरेक श्रादि की खुदाइयों में सुमेर के अाक्रमण तक के प्रत्येक राजा का ठीक-ठीक राजाओं की क्रमबद्ध वंशावलियाँ प्राप्त हुई हैं। ये मिट्टी राज्य काल दिया हुआ है। यही मेसोपोटामिया में की पकी हुई शिलाओं पर खुदी हुई प्राप्त हुई हैं। इनमें प्राप्त सबसे प्राचीन सुमेर-वंशावली है। इसकी वहाँ के राजाश्रों का राज-काल दिया हुआ है। ये विशेषता यह है कि इसके बाद की वंशावलियों की वंशावलियाँ भिन्न-भिन्न समयों में लिखी गई थी। जिस भाँति इसमें किसी भी राजा का हज़ारों वर्षों वंशावली के लिखते समय पहले के जितने राजाओं का का कल्पित राज्य-काल नहीं लिखा है। इस ठीक-ठीक समय ज्ञात था वह तो दिया गया है, पर उनसे वंशावली के जिन जिन राजाओं ने अपने लेखों में पूर्व के राजाओं का जिनका समय ठीक-ठीक नहीं ज्ञात था, . जितने वर्षों का राज्य-काल लिखा है वही इस हज़ारों वर्ष लिख मारा गया है। परन्तु एक वंशावली में वंशावली में लिखा हुआ पाया जाता है। प्रत्येक प्राचीन राजाओं का जो हज़ारों वर्ष समय दिया गया है राज-वंश के प्रत्येक राजा का राज्य-काल देने के उससे प्राचीन वंशावली में उनका ठीक समय पाया जाता पश्चात् फिर राजवंश के सारे राजाओं ने कुल है। इस प्रकार सुमेर-जाति के प्रथम राजा से लेकर कितने वर्ष राज्य किया, यह संख्या भी दी गई है। अन्तिम राजा तक का ठीक-ठीक राज्य-काल कहीं कहीं वर्षों २-निप्पुर-वंशावली-यह भी प्रथम सुमेर-राजा से ही ही नहीं, महीनों और दिन तक का प्राप्त हो जाता है। शुरू होती है, जो इस वंशावली के अनुसार 'प्रलय' . अब विचार करना चाहिए कि इन बंशावलियों में के पश्चात् शीघ्र ही स्वर्ग से आकर राजा हुअा था। बताये गये राजाश्रों के राज्य-काल को विश्वसनीय कैसे इस वंशावली के प्रारंभिक राज-वंश का विवरण और माना जाय । परन्तु यह प्रश्न भी हल हो जाता है। राज्य-काल किश-वंशावली में लिखा हुश्रा है। उसका खुदाइयों में ऐसे अनेक राजाओं के लेख प्राप्त हुए हैं काल इसमें हज़ारों वर्षों का लिखा हुआ है। परन्तु जिनमें वे अपना राज्य-काल लिखा हुआ छोड़ गये हैं; सौभाग्य से जहाँ किश-वंशावली समाप्त होती है, जैसे सर्गन, मेदी, गुदिया आदि । इनके लेखों का राज्य- वहाँ से आगे के राज-वंशों तथा राजाओं का इसमें काल वंशावलियों के राज्य-काल से मिलता हुआ है। ठीक-ठीक समय दिया हुआ है। वैसे तो किशदूसरी बात इन बंशालियों के विषय में विश्वास करने वंशावली जिस राज-वंश पर समाप्त होती है उससे योग्य यह है कि इनमें लिखा हुआ कोई भी राज-वंश पीछे के एक राज-वंश से ही इस वंशावली का सत्य कल्पित नहीं प्रमाणित किया जा सका। इनमें जिस भाग प्रारंभ हो जाता है और उस राज-वंश के -काल-क्रम से उनका वर्णन है उसी के अनुसार खुदाइयों राजात्रों का राज्य-काल दोनों वंशावलियों में एक में इन राजवंशों की स्मारक वस्तुएँ और लेख अादि प्राप्त समान है। वह है एरेक का दूसरा राज-वंश । इसके ३५० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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