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संख्या ४]
यहाँ और वहाँ
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होनेवाले हँसी-मज़ाक ने हम लोगों के, विशेष कर हमारे हिन्दी में 'विमाता' शब्द है, परन्तु 'स्टेप-फादर' के लिए, ग्रामीणों के, जीवन में जिस सरसता का संचार किया है, कम से कम अभी तक तो, कोई शब्द नहीं है । और उसे वे लोग क्या समझेगे जिनकी भाषा में दोनों के लिए होता भी कैसे ? हमारी संस्कृति में स्टेप-फादर के लिए एक ही शब्द है ?
स्थान ही कहाँ है? निस्सन्देह देवर और जेठ दोनों ही पति के भाई होते हैं, परन्तु अब समय बदल रहा है। अन्यान्य बातों के परन्तु हिन्दू स्त्रियों के हृदय में इन दो शब्दों से जिन भावों साथ हमारी सामाजिक प्रथात्रों में भी सुधार हो रहा है। का उदय होता है वे कितने भिन्न हैं ! एक का सम्बन्ध विधवा-विवाह का श्रीगणेश तो हो ही गया है, तलाक के कितना सरसता-पूर्ण है और दूसरे का कितना सम्मान-पूर्ण! लिए भी आन्दोलन चल पड़ा है। हम कुछ भी सोचे देवर और भाभी के सम्बन्ध का हमारे गाहस्थ्य-जीवन तथा और कुछ भी कहें, भविष्य में तलाक का रिवाज उतना ही ग्राम्य-साहित्य का सरस तथा संगीतमय बनाने में कितना अनिवार्य मालूम होता है, जितना विधवा-विवाह । अन्तर भाग रहा है, क्या इसे वे लोग समझ सकते हैं जिनकी केवल समय और आगे-पीछे का है। वह समय भी श्रीनेभाषा में देवर और जेठ दोनों ही 'ब्रदर-इन-लॉ' हैं ? अभी वाला है जब स्टेप-फ़ादर के समानार्थक कोई महाशय हमारी हाल में एक साहित्य-प्रेमी अँगरेज़ सज्जन (मिस्टर शेरिफ़, भाषा में भी आ डटेंगे। तभी देखा जायगा कि हिन्दीवाले
आई० सी० एस०) का किया हुअा हिन्दी के कुछ ग्राम- 'विमाता' की जोड़ के किस शब्द का निर्माण करते हैं। . गीतों का अंगरेजी रूपान्तर प्रकाशित हुआ है। अनुवाद जैसा सफल है, वैसा ही सुन्दर है, परन्तु एक गीत में मनुष्य कल्पनाशील प्राणी है, इसलिए वह निजींव विद्वान लेखक "देवर" को "जेठ" समझ गये हैं। क्या वस्तुओं में भी सजीव प्राणियों की कल्पना करना चाहता इस प्रकार की भूल किसी ऐसे लेखक से हो सकती है। विज्ञानवेत्ताओं के कथनानुसार चन्द्रमा एक निर्जीव है, जो देवर और जेठ-सम्बन्धी वनात्रों से पर पदार्थ है। परन्तु क्या कवि और भावुक भी इस बात से चित हो ?
सहमत हो सकते हैं ? मुझे एक अँगरेज़ी ,कविता याद ग्रा 'ब्रदर-इन-ला' जैसी ही हालत 'सिस्टर-इन-लॉ' की है। रही है। एक प्रेमी अपनी स्वर्गीया प्रमिका की याद करता भाभी भी सिस्टर-इन लॉ और अनुज-वधू भी सिस्टर-इन- हुअा कह रहा है - लॉ ! यही क्यों, साली और सलहज, देवरानी और जिठानी, "इसी स्थान पर मेरी उसकी वह भुलाई न जा सकनेननँद और भौजाई, सभी तो 'सिस्टर-इन-लॉ' के व्यापक वाली भेंट हुई थी, जब हम दोनों ने एक-दूसरे को अथ के अन्तर्गत आ जाती हैं । हमारी भाषा में इन शब्दों यावज्जीवन प्रेम करने की शपथ स्वाई थी। चन्द्रमा हमारा से उत्पन्न होनेवाली भावनाओं में कितना अन्तर है ! और साक्षी था। विज्ञान उसे निर्जीव पदाथ बताता है। जिसकी यह स्वाभाविक ही है, क्योंकि हमारी संस्कृति में इन सब अाभा से सारा संसार भालोकित हो रहा है. वह निर्जीव है !" सम्बन्धों की अपनी-अपनी निजी विशेषता है। परन्तु अँग- हमारे पूर्वजों ने तो अाज निर्जीव कहे जानेवाले रेजी में तो इनके सम्बन्ध में 'सबै धान बाईस पँसेरी' वाली पदार्थों में से सैकड़ों-हज़ारों की सजीव प्राणियों के ही नहीं,. बात मालूम होती है।
देवी-देवतानों और राक्षसों के रूप में कल्पना की थी। ____ हाँ, दो एक रिश्ते ऐसे भी हैं जिनके लिए अँगरेज़ी में उनकी इन कल्पनाओं से हमारा प्राचीन साहित्य अओत-प्रोत तो शब्द हैं, परन्तु हिन्दी में नहीं हैं, कम से कम शिष्ट है। जिनको अाज का विज्ञान निर्जीव कहता है वे हमारे हिन्दी में तो नहीं हैं। इस तरह का एक शब्द है 'स्टेप- पूर्वजों की कल्पना की बदौलत हमारे साहित्य में ऐसे फादर'। अगर किसी की माता विधवा हो जाने पर या सजीव हो उठे हैं कि उनके जन्म और मरण, उनके प्रेम पति से सम्बन्ध विच्छेद हो जाने पर फिर से किसी के और द्वेष, उनके हर्ष और शोक, उनकी जय और पराजय साथ विवाह कर लेती है तो यह नया व्यक्ति उसका की कवित्वपूर्ण कथायें पढ़ते समय हम वैसे ही तल्लीन हो स्टेप-फादर कहलाता है। स्टेप-मदर' के लिए तो जाते हैं, जैसे इतिहास की वास्तविक घटनाओं का वर्णन
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