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सरस्वती
लम्बोदर - घण्टे भर में मेरी जान निकल जायगी । [फागुन से] तुझसे तो डाक्टर को बुला लाने को कहा था ! फागुन- बुलाया हूँ, आते ही होंगे। [नेपथ्य में देख कर] वे पहुँचे ।
[ दवाइयों का बेग हाथ में लिये डाक्टर का आना । मालिनी फिर घूँघट काढ़ एक कोने की ओर मुँह कर लेती है ।]
डाक्टर – वेल सेठ ! क्या बाट है ? बीमार हो गिया ? [ थर्मामीटर निकालकर उसे छटकाता है । ] लम्बोदर - हाँ हुजूर ! गदिश में पड़ा हूँ । डॉक्टर -- हम अभी हमारा गडिश को भगा डेगा । मुँह खोलो। [लम्बोदर मुँह खोलता है, डाक्टर मुँह में थर्मामीटर डालता है और घड़ी देखता है । ] लो यह थर्मामीटर है, आधे मिनट तक इसे मुँह में डालकर चुप पड़े रहो । [घड़ी देखकर थर्मामीटर निकाल उसका निरीक्षण करता है ] है, थोड़ा-सा बुखार भी है । लम्बोदर - बुख़ार भी होगा। पर मेरा तो सब का सब ख़न बह गया। उसी का पेट में दर्द है ।
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डॉक्टर-पेट में दर्द न होगा तो क्या हाँड़ी में होने सकता है । उसे भरता ही जाता है । कुछ हाथ-पैर भी हिलाता है या नहीं ? मील- दो मील रोज़ घूमने जाता तो कभी बीमार ही नेई पड़ता । [स्टीथियोस्कोप पेट में लगाकर] तुम्हारे पेट में फोड़ा हो गया है । वह फूट गिया । खून बह गिया, यह श्राच्छा ही हुआ है। मगर फिर भी आपरेशन दरकार है ।
लम्बोदर - श्रपरेशन !... क्या पेट फाड़ोगे ? 'डॉक्टर - हाँ, बिला शक ! तुम्हारे पेट में कौंडिसायलस
हो गया है, बड़ी ख़तरनाक बीमारी है। इसमें ज़रूर पेट चीरा जायगा, नहीं तो वह ज़हरीला खुन तुम्हारे सिस्टम में मिलकर चौबीस घण्टे के भीतर तुम्हें मार डालेगा, सेठ जी !
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[ भाग ३८
काटने के बराबर इतना भी दर्द मालूम नेई होगा । [ शीशी निकालता है । ]
लम्बोदर - मगर आपने ध्यान ही नहीं दिया । मेरी तबीयत बहुत सँभल गई है । डाक्टर—–सँभल गई है तो क्या हुआ ? तुम बहुत कमज़ोर है । एक ताकत देनेवाला इंजेक्शन तो देना ही पड़ेगा ।
लम्बोदर - श्रापकी मर्जी है तो दे दीजिए, जंक्शन दे दीजिए । लेकिन मेहरबानी कर इस छुरे को जहाँ से निकाला है, वहीं रख दीजिए ।
डाक्टर - ईश्वर चाहेगा तो तुम इंजेक्शन से श्राच्छा हो जायगा । जब नेई होगा तब फिर यह छुरा तरकारी छोलने का थोड़े है । [रा बेग में रख मुई निकालकर इंजेक्शन देता है । ]
लम्बोदर - अरे बाप रे ! मरा, मरा !
डाक्टर - नवरात्रो, कुछ नेई हुआ, नेई मरेगा | लम्बोदर - आपकी कृपा होगी तो नहीं मरूँगा डाक्टर
साहब ! पर इस वक्त मैं अच्छा हो गया हूँ । आप अपने घर को तशरीफ़ ले जायँ। मैं फिर आपको ख़बर भी दूंगा और फ़ीस भी ।
डाक्टर [बेग बन्द करते हुए ] - हाँ, ज़रूर ख़बर देना ।
अच्छा, हम इस वक्त जाता है और किसी वक्त भी आपरेशन करने सकता है। [बेग उठाकर जाना ।] मालिनी [घूँघट खोल लम्बोदर के पास ग्राकर ] - भगवान्
को धन्यवाद है, आपकी तबीयत सँभलने लगी । फागुन- खुश रहें डाक्टर साहब । उनके दर्शन से ही
बीमारी छलाँग मारकर भाग गई ।
लम्बोदर - अरे कहीं नहीं भागी । वह तो और भी चिपक
गई, उसने तो और भी पैर फैला दिये। मरता हूँ, अब सचमुच मरता हूँ | [कराहता है ।] मालिनी - यह क्या सुनाने लगे ? तुमने तो अभी-अभी डाक्टर से कहा था कि तबीयत अच्छी हो गई । लम्बोदर - अरी कह दिया था। उसने भी तो कुरा निकाल लिया था ।
लम्बोदर, फागुन और कोने में मालिनी सब घबराते हैं। डाक्टर बेग से छुरा निकालता है ।] लम्बोदर - अरे बाप रे ! ठहरिए, ठहरिए डाक्टर साहब, मगर मेरी तीत सुधर गई है । अत्र रहने दीजिए । डाक्टर - ओह यू डरने की कोई बात नेई है। क्लोरोफ़ार्म श्रोझा जी - जी सेठ जी ! जय हो ! बीमार पड़ गये ? सुँघार तुमको बेहोश कर दिया जायगा । खटमल के
[ओझा जी का आना |]
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