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जाग्रत नारिया
क्या आधुनिक स्त्री स्वाधीन है ?
लेखक, श्रीयुत संतराम, बी० ए० DIRCH ह स्वतंत्रता का युग है। चारों ओर और कई बार बाहर आई। एक दूसरी स्त्री नेलसन
, स्वतंत्रता, स्वतंत्रता का ही तुमुल स्मारक जैसे ऊँचे स्थान पर से नीचे कूद पड़ी। यह सारी VG - नाद सुनाई पड़ता है। राजनैतिक हलचल और गड़बड़ किसलिए की गई ?-पुरुषों के
स्वतंत्रता ही . जीवन के प्रत्येक समान वोट देने का अधिकार पाने के लिए। विभाग में
स्वतंत्रता की परन्तु अाज उनका वह जोश कहाँ है ? वह सब ठंडा aurat माँग हो रही है। स्त्रियों की दशा पड़ गया है। आज इंग्लैंड में कितनी स्त्रियाँ अपने वोट
Mara को लेकर बड़े हृदयस्पर्शी शब्दों में नर और नारी की समता देने के अधिकार का उपयोग करती हैं ? अब तो वे इसे का ढोल पीटा जा रहा है। स्त्री कभी स्वतंत्र न रहे, एक व्यर्थ का झमेला समझकर इसमें पड़ना ही नहीं धर्मशास्त्र की इस अाज्ञा को लेकर पढ़ी-लिखी स्त्रियाँ बेचारे चाहतीं। मनु की वह गति बना रही हैं कि उसकी स्वर्गस्थ आत्मा महिला-मताधिकार के लिए अान्दोलन करनेवाली लज्जा के मारे अानन्दधाम के किसी कोने में मुँह छिपाये स्त्रियों के मन में जो भाव काम कर रहा था और जिसने पड़ी होगी। भारत के तो पुरुष भी पराधीन हैं, फिर स्त्रियों उनमें वीरता और क्षोभोन्माद की अवस्था उत्पन्न कर दी की स्वाधीनता का तो उतना प्रश्न ही नहीं पैदा होता। थी वह इसलिए कि वे समझे हए थीं कि पार्लियामेंट परन्तु स्वाधीन योरप में 'स्त्री-स्वातंत्र्य' के प्रश्न को लेकर ही राष्ट्र पर राज्य करती है और सब बातों में उसको मार्ग स्त्रियों ने वह ऊधम मचाया था कि पुरुष बेचारे त्राहि माम् दिखाती है, इसलिए उसमें अपने प्रतिनिधि भेजने का त्राहि माम् कह उठे थे । गत महायुद्ध के पहले वहाँ स्त्रियाँ अधिकार प्राप्त कर लेने से स्त्रियाँ अपनी स्थिति को अच्छा अपने को लोहे की सलाखों के अँगले के साथ जंजीर से बना सकेंगी। परन्तु पार्लियामेंट की सारी शक्ति कर्मचारियों बाँध देती थीं, राजनैतिक सभात्रों पर धावे बोलती थीं, ने और राजनीतिज्ञों के छोटे छोटे समूहों ने छीन रक्खी जेलों में जाकर भूख-हड़ताल करती थीं, पुलिस के सिपाहियों है । ये राजनीतिज्ञ या तो बड़े बड़े आर्थिक और प्रौद्योगिक के साथ गँवारों की तरह लड़ती-झगड़ती थीं, गिरजाघरों स्वार्थदर्शियों के हाथ की बिलकुल कठपुतली होते हैं या को जलाती थीं और क्रीड़ा-स्थलों पर तेज़ाब फेंक देती इन पर उनका बहुत अधिक प्रभाव रहता है । ब्रिटिश उदार. थीं। इंग्लैंड में लेडी कांस्टेस लिटन कई बार जेल गई दल के एक बड़े नेता श्रीयुत रेम्जे मूअर का कथन है कि
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