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________________ संख्या ३] ब्रिटिश म्युजियम BHAI लाटमर. मर टामस मर के हस्ताक्षर देखने का मिलने है। बोन मरी. महारानी लि जवथ. सर वाल्टर रेले, सरफिलिप सिडनी इत्यादि की जिनके नाम इतिहास में अमिट है चिटयाँ इसमें मौजूद हैं। काटम की रानी मेरी की भयानक कहानी जो अपने मौन्दर्य के कारण युवकों का स्वप्न हो गई थी और कोमलता के कारण लोगों को निन्दा की वस्तु थी और जो अन्त में गड़ाने का शिकार बनाई गई थी. अाज भी हृदय को व्याकुल कर देती है। वाचनालय (ब्रिटिश म्युज़ियम)] शेक्सपियर का हस्ताक्षर एक दस्तावेज़ पर देखकर अात्मा यही कह उठती है, क्या की मृर्तियाँ, लोहा, सोना, चांदी इत्यादि के बने अाभपण, यही शेक्सपियर है जिसकी सृष्टि संसार में कोई सानी उनके बर्तनों अथवा खिलौनों से भी मानव सभ्यता पर पूरा नहीं रखती । लाइव और हेस्टिंगस की चिट्टियाँ अब भी प्रकाश पड़ता है। इन सबों का भी ब्रिटिश म्युज़ियम में वर्तमान है, जिन्होंने भारत में अँगरेज़ी-सरकार की वृहत् संग्रह है। यदि आपको पत्थर-युग वा त्रौज़-युग नींव डाली थी। एक शीशे के बक्स से दूसरे की ग्रोर वा लोहा-युग का अध्ययन करना हो तो उन विभागों में भ्रमण जाइए, अतीत काल अतीत नहीं रह जाता, वर्तमान हो करें। सचनुच में यह म्युज़ियन ज्ञान का समुद्र है, जिसका उठता है और यही मालूम होने लगता है मानो ये सभी श्राप जितना ही अधिक मंथन करेंगे, उतने ही सुन्दर रत्न व्यक्ति अपने ग्वाम परिचय के हैं । उससे पायेंगे। मादित्य विभाग के अलावा इसके और भी विभाग हैं, इसका अध्ययन स्थान भी जिसे रीडिङ्ग-रूम कहते जो उतना ही शिक्षाप्रद और मनोरञ्जक है। द्रव्य-विभाग है, बड़े ही माके का है। जिम समय यह म्युज़ियम प्रारम्भ में चले जाइए. द्रव्यों के स्वल्प और बनावट का इतिहास हया था, उस समय उसमें पढ़ने के लिए कोई खास स्थान आप बहुन ग्रासानी से जान सकेंगे । छपाई का इतिहास नहीं था । एक कमरे में एक टेबिल और वीस कुर्सियां रख जानना हो तो छपाई विभाग में चले जायँ । प्रारम्भ से दी गई थीं और उतना ही स्थान यथेष्ट समझा जाता था। लेकर अब तक हर तरह की छपाई के नभने ग्राप देग्य बड़े-बड़े दर्शकों में कवि ग्रे भी थे, पर अठारहवीं शताब्दी लगे। किताबों के बाँधने का तरीका देखना हो अथवा के अन्त तक पढ़नेवालों की संख्या प्रतिदिन ग्राधा दर्जन चुस्तकों का मचित्र बनाने का सिलसिला देखना हो तो से ज्यादा न थी। और बड़े-बड़े लोगों में जो म्युजियम आर वहाँ भलीभाँति देख सकेंगे। को काम में लाये थे, सर वालटर स्काट, हेनरी ब्रम, यह तो रही नाहित्य सम्बन्धी बातें । पर सभ्यता का चाल्स लेम्ब, हेनरी हैलम थे। स्त्रियों में केवल मिसेज ज्ञान केवल पुस्तकों से ही नहीं होता, बरन कला कौशल मकाले का ही नाम पाया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी से से भी उसका ज्ञान प्राप्त होता है । ग्रीस और रोम की पत्थर पड़नेवालों की संख्या बहुत बढ़ने लगी और एक खास Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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