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फ़ैज़पुर का
'महाकम्भ'
लेखक, श्रीयुत श्रीमन्नारायण अग्रवाल, एम० ए०
. इस लेख के साथ जो चित्र प्रकाशित हो रहे हैं वे हमें श्रीयुत काशीनाथ त्रिवेदी और प्रो० मेनन से प्राप्त हुए हैं।
महासभा का शिवाजी द्वार ।
प्र
याग और हरिद्वार के कुम्भ या अर्ध- कुम्भ में तो केवल हिन्दू-जाति के लोग ही एकत्र होते हैं । कुम्भ तो कितने ही बार हो चुके किन्तु फ़ैज़पुर में तो हिन्दू, पारसी, मुसलमान, ईसाई इत्यादि हैं। हज़ारों-लाखों की भीड़ होती. सभी जातियों के लोग जमा हुए थे। साधारण कुम्भ में
है, सब लोग गंगा-स्नान करते हैं, हरिजनों पर जो बीतती है, वह कौन नहीं जानता ।
__ और अपने लिए स्वर्ग में एक किन्तु यहाँ तो सैकड़ों पढ़े-लिखे भाइयों ने उनका हाथ स्थान पाने की कोशिश करते हैं। इन कुम्भों से किसी सहर्ष बँटाया था। हरिद्वार और प्रयाग के कम्भों में का सचमुच कुछ लाभ होता है या नहीं, यह तो साधु लोग केवल धर्म ग्रन्थों का पाठ करते हैं, और लोगों ईश्वर जाने, पर इतना प्रकट है कि धर्म के नाम को परलोक की बात बताते हैं । फैज़पुर में महात्मा गांधी पर इस देश में जितनी भीड़ इकट्री हो जाती है, और पंडित जवाहरलाल जैसे नेता एकत्र थे, जिन्होंने अपने उतनी संसार के शायद ही किसी और देश में होती हो। त्याग और चरित्र के बल से देश में नवजीवन का संचार और ऐसी भीड़ों से क्या लाभ होता है, इसका अनुमान किया है, मरी हुई जाति में नवीन आशा का भाव जाग्रत देश की दयनीय दशा से अच्छी तरह किया जा सकता है। किया है और इस लोक की राह बताई है, जिससे परलोक
अपने आप बन जाता है। तब हम इस बड़े समारोह को पर गत दिसम्बर के अन्त में नये ढंग का एक महाकुम्भ 'महाकुम्भ' क्यों न कहें ? हो गया, और वह भी खानदेश के एक छोटे-से गाँव में। x
x प्रयाग और हरिद्वार के सामने अभी तक फैज़पुर की क्या वैसे तो इस प्रकार के राष्ट्रीय कुम्भ बहुत हो चुके हैं । गिनतो थी ? लेकिन उस महाकुम्भ ने इस छोटे गाँव को किन्तु इस कुम्भ में एक विशेषता थी, जिसके कारण हम गौरवान्वित कर दिया। उक्त स्थानों के कुम्भों के द्वारा उसको महाकुम्भ कहते हैं। अभी तक सब राष्ट्रीय महासभायें अन्धविश्वास और अकर्मण्यता का देश में भले ही प्रसार शहरों में ही हुआ करती थीं। गाँवों में जो यथार्थ में हा हो, किन्तु इस फ़ैज़पुर के कुम्भ से देश में एक नवीन भारत के केन्द्र हैं. इस महासभा का प्रकाश कभी नहीं जाग्रति और उत्साह का संचार हा है। फिर साधारण फैलाया गया। हमारे देश के अधिकांश लोग किसान
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