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________________ ... . सरस्वती [भाग ३८ भिन्न भिन्न श्रेणियों के लोगों में पारस्परिक सम्मान- भी कोई गराज-मोटर को खड़ा करने का स्थान नहीं मूलक यह अद्वितीय स्वतन्त्रता अमरीका की सच्ची लोकसत्ता मिलता। का एक अतीव सुखद लक्षण है। स्वामी और सेवक की परन्तु अमरीका की बड़ी सड़कों पर एक नये संसार पुरानी भावना वहाँ नहीं है। . की सृष्टि हो गई है। पुराने समय के टाँगों और इक्कों कीयोरप में मुसाफिरों को सराय में, होटल में, जहाँ भी सी बात हो रही है। जगह जगह मोटर के लिए खाना, जायँ, नौकरों को 'टिप' या बख़शीश देनी पड़ती है। पीना, मकान और सेवक तैयार मिलता है। मोटर चलाने श के बिना वहाँ के नौकर काम ही नहीं करते। वाला भी थोड़े से पैसों से पेट भरकर खा सकता है। बम्बई के सबसे बड़े ताजमहल होटल में भी जब तक अमरीका के राजमार्गों पर सबके साथ समता का व्यवहार श्राप बहरे को. खानसामे को. लिफ्टवाले को. चौकीदार को होता है। यहाँ सेवा करनेवाले और सेवा करानेवाले के "टिप' न दे, वे आपका कुछ भी काम नहीं करेंगे । श्राप बीच सद्भाव है। वह अमरीकन स्वतन्त्रता और लोकसत्त खाने के कमरे में बैठ जाइए, कोई आपसे पूछेगा तक नहीं का फल है। कि श्रापको क्या चाहिए। इसलिए मुसाफिरों को तंग अमरीका में जब आप होटल के नौकर से प्रार्थना अाकर अपनी गौं के लिए होटल के नौकरों को घूस देनी करेंगे कि मेरा कमरा जल्दी साफ़ हो जाय तो वह उत्तर पड़ती है । योरप में आपको स्त्रियाँ मोटर चलाती हुई में आपसे कहेगा- "बहुत अच्छा, प्यारे !” परन्तु योरप में बहुत कम मिलेंगी । स्त्री का मोटर चलाना वहाँ एक विला- इसका उत्तर मिलेगा--"महाराज, सेवा के लिए हाज़िर सिता समझा जाता है । वहाँ स्त्री एक ऐसा तुच्छ प्राणी हूँ" या "कृपानाथ, बहुत अच्छा ।” योरपीय होटल के समझी जाती है जिसके पास कोई काम नहीं। अच्छी सेवक के शब्दों से दासता का भाव टपकेगा, और वह गृहस्थ देवियों के पास मोटर चलाने के लिए न तो समय सदा बख़शीश की अाशा करेगा । “बहुत अच्छा, ही है और न रुपया ही। योरप के मस्तिष्क में यह बात प्यारे !" में ऐसा कोई भी भाव नहीं है बैठी हुई है कि मोटर में बैठनेवाले व्यक्ति ज़रूर धनाढ्य यात्री ऐसा अनुभव करता है, मानो प्रत्येक व्यक्ति उसे ही होने चाहिए । वहाँ इससे अमीर और ग़रीब की पहचान सहायता देना चाहता है । वहाँ बर्फ़वाला कहेगा—“आपको होती है । बर्फ की सन्दूकची का ध्यान रखने की आवश्यकता नहीं। __ अमरीका में लम्बी, सीधी, सफ़ेद सीमेंट की सड़कें हैं। जब ज़रूरत होगी, मैं आप ही उसे भर दूंगा।' आपके इन पर छाया नाम को भी नहीं। जगह जगह विज्ञापन कपड़े धोनेवाली धोबिन आपसे कहेगी--"मैं आप ही कपड़े चिपकाकर इनकी सूरत बिगाड़ दी गई है। परन्तु मोटर- इकठे करके आपके सामने गिने लेती हूँ।" वालों को इन पर चलने में भी एक अानन्द प्राप्त होता अमरीका के होटल एक विशेष चीज़ हैं । संसार के - है। एक समय था, जब इन सड़कों पर मुसाफ़िरों की भीड़ और किस देश में आपको स्नानागार में साबुन पड़ा रहती थी। सराये थीं जहाँ बटोही विश्राम कर सकते थे। मिलेगा ? और किस जगह आप होटल के बिल का चेक यात्रा का अपना निराला ही लुत्फ़ था। काटते समय उसमें नौकर की बख़शीश भी मिला सकते आज अमरीका में सड़कों का पुनर्जन्म हुआ है। हैं, और खुद नौकर आपको इसकी सूचना देता है ? योरप में मोटर का शब्द सुनकर आज भी बत्तखें काय-कायँ दूसरा कौन-सा देश है, जहाँ अस्पको इतनी जल्दी, और करती हैं, कुत्ते भोंकते हैं, और घोड़े कान खड़े करते हैं। एक ही काग़ज़ पर सब ख़र्चों का बिल दे दिया जाता है ? मोटर को बार बार रोकना पड़ता है। अभी तक टङ्की जब आप योरप के होटल से बाहर निकलेंगे तब कमरेवाला में पेट्रोल के चुक जाने का डर लगा रहता है, क्योंकि नौकर आपको अपना छोटा-सा बिल देगा भोजनालय का पेट्रोल मिलने के स्थान एक-दूसरे से बहुत दूर दूर हैं। बिल अलग मिलेगा, कुली अपना तीसरा बिल देगा। मोटर ख़राब हो जाने की दशा में तो और भी दिक्कतें होती जब आप समझेंगे कि यह बखेड़ा ख़त्म हो गया तब प्रायः है। मीलों चले जाने पर, गाँव के गाँव निकल जाने पर, एक और मनुष्य आपके पीछे भागता हुआ आयेगा कि , Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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