SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४ सरस्वती [भाग ३८ R.M.S.STRA PASSING UNDE . शहर में बैंक, बीमा कम्पनी, रेलवेदक्कर, होटल, थियेटर वगैरह की इमारतें देखने काबिल हैं। मज़बूती व वेशकीमती में एक एक से होड़ करती है। नतीजा यह है भव्य व विशाल इमारतों से सिडने का व्यापारिक हिस्सा भरा हुअा है। बड़ी-बड़ी दुकानों में शाक-भाजी से लेकर बर्तन, कपड़े, [सिडनी बंदरगाह पर एक पुल जिसके नीचे से बड़े बड़े जंगी जहाज़ गुज़र जाते हैं । ] ' कुर्सी, पलँग अादि सिनेमा, थियेटर इत्यादि बहुत-से हैं । नाच घर या अन्य जो कुछ गृहस्थी के काम की चीजें हैं, सब मिलती विलास-वैभव में किसी योरपीय शहर से सिडने कम नहीं हैं। सैकड़ों फुट के घेरे में दस- दस तल्ले सामान से है। समाज के रहन-सहन पर अमेरिकन प्रभाव का बड़ा खचाखच भरी दुकानें देखने में श्राती हैं और ख़रीददारों हिस्सा जान पड़ता है। स्त्रियों का श्रृंगार उसी ढंग का का तांता लगा रहता है। यहाँ अादमी सोना-चाँदी है। स्त्रियों के सुन्दर पहनावे से उनकी सुरुचि की श्रेष्ठता नहीं खरीदते, बल्कि अपनी आमदनी वस्त्र व ऐशोप्रकट होती है। निस्संदेह समृद्धता इसका मूल कारण है। पाराम की सामग्रियों में खर्च करते हैं। प्राप्त यहाँ मज़दूरी का औसत कम से कम ४०) हप्ता है। काम आमदनी तो एक तरफ़ रही, भावी आमदनी के भरोसे पर के समय नियत हैं, इसलिए स्त्री-पुरुषों को खेलों के लिए किश्त पर भी बहुत बड़ा व्यापार होता है। जिसकी नौकरी पर्याप्त समय मिलता है। पुरुषों की तरह स्त्रियाँ भी खेल लगी हुई है उसको दुकान की शौकीन हैं, जिसका उनकी तन्दुरुस्ती व शारीरिक पर चीजें बेचते हैं। गठन पर अच्छा प्रभाव देखने में ग्राता है। अक्तबर से यों तो श्रास्ट्रेलिया के सभी शहरों में 'मिल्कबार' हैं, अप्रैल तक सिडने के समद्रस्नान-तट जन-समुदाय से भरे पर सिडने में इनकी विशेष छटा है। नाम के खयाल से रहते हैं। तो यहाँ दुध ही मिलना चाहिए, पर शवत वगैरह अन्य आस्ट्रेलिया भर में जुए का बड़ा शौक़ है। हर एक पेय पदार्थ तथा प्राइस-क्रीम और फल भी बिकते हैं। शहर में घुड़दौड़ होती है। सिडने, मेलबोर्न जैसे शहरों में शहर के मध्य में अन्य दुकानों की तरह दफ्तरों तो घुडदौड के कई मैदान हैं। लोगों की जुबाडी-प्रवृत्ति सिनेमा-थियेटरों के नजदीक. पार्क-बागीचों में, स्टेशनों में से लाभ उठाने के लिए सरकारी लाटरी हमेशा हुया करती या और जहाँ कहीं आदमियों की ज्यादा ग्रामदरफ्त है, है । टिकट की दर दो शिलिंग और पाँच शिलिंग होती वहाँ स्वच्छ जगमगाती सजावट में चाँदी के बर्तन व काँच है। रैफ़िल भी हुया करते है। लाटरी के टिकट सिगरेट- के गिलास से सुशोभित मिल्कवार कायम हैं। इनमें फाटक तम्बाकू की सब दूकानों पर बिकते हैं। लोगों की प्रायः नहीं रहता, जिससे सड़क पर से सब खुला दिखता है। अाधी कमाई शराब और जुए में खर्च होती है। लकड़ी का करीब दो फुट चौड़ा वा चार फुट ऊँचा कट Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy