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________________ संख्या २ ] रंगून से आस्ट्रेलिया हरा बना रहता है । सामान भीतर रहता है और ऊँचे-ऊँचे स्टूल बाहर रक्खे रहते हैं। स्टूलों पर बैठकर कटहरे पर गिलास रख या योंही खड़े हुए कटहरे की टेक लिये ग्राहक यथारुचि पीते-खाते हैं । ग्राहकों की भीड़ के अनुसार परोसनेवाली स्त्रियाँ कटहरे के भीतर एक-दो या तीन-चार की संख्या में रहती हैं। ज्यादातर १६ से २० बरस की युवतियाँ इस काम पर नियत रहती हैं, जो भड़कीली पोशाक में सफ़ेद टोपी लगाये लाल-लाल चोंट, गुलाबी गाल व सुरेखित भौंहें किये कटहरे के भीतर ग्राहकों को परोसने में मधुर मुस्कान धारे इधर-उधर झपटती फिरती नज़र आती हैं । अवकाश पाने पर दो बातें भी कर लेती हैं, जिससे किसी रसीले ग्राहक का समाधान हो जाता है । जहाँ-तहाँ सैलूनवार हैं। ये हमेशा दरवाज़े के भीतर होते हैं । यहाँ बियर, ह्विस्की, बैंडी या अन्य मादक द्रव्य बिकते हैं। पुरुष ही इनमें ग्राहक होते हैं । यहाँ भी बहुधा बारमेड रहती हैं, जो ज्यादा उम्र वाली नज़र ग्राई । ग्राहकों को हँसी-मजाक व सिगरेट पाइप के धुएँ से ये सैलूनबार गूँजे रहते हैं । मिल्कबार में स्त्री-पुरुष सभी जाते हैं, पर सैलूनवार में सिर्फ मर्द ही । सैलूनबार प्रायः होटलों में होता है और होटल में लॉज- कमरा ज़रूर रहता है। लाँज दर की निगाह से देखा जाता है, जिसमें स्त्री-पुरुष बैठकर शराब वगैरह मँगाकर पीते हैं बारों में 'टिप' नहीं दी जाती, पर लाँज में वेटर या वेटरेस को 'टिप' देने का रवाज है। लॉज प्रायः स्त्री-पुरुषों के मिलने के स्थान होते हैं । । रेलवे और ट्राम के सरकारी होने की वजह से किसी अन्य व्यक्ति को लारी या बस चलाने की इजाज़त नहीं है। जहाँ ट्राम नहीं है, वहाँ सरकारी बसें चलती हैं। ट्राम या बस का किराया दो पेंस से कम नहीं है । शहरों में टैक्सियाँ चलती हैं, जो एक शिलिंग प्रतिमील के हिसाब पर जाती हैं। खाड़ी में से एक दूसरी जगह जाने के लिए फेरी चला करती हैं। टैक्सी की तरह लाँच भी किराये पर मिलती हैं। लाँच पर चढ़कर खाड़ी में सैर करने का मज़ा . लेनेवालों की यहाँ कमी नहीं है । कुछ दूर समुद्र की सैर जाने के लिए याच भी किराये पर मिल सकती हैं। मोटर कार की तरह अपने आराम के लिए बहुत-से धनाढ्य पुरुषों की जल की सैर के लिए अपनी-अपनी लाँच या याच हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat . १२५ एक रोज़ हमने ज़ू देखने में बिताया । यहाँ का मछलीघर देखने के लायक है। तरह-तरह की विविध रङ्ग और कार की मछलियाँ अपने-अपने प्राकृत स्थानों में काँच के शीशे के अन्दर जल में तैरती फिरती हैं । सबसे ज्यादा शोभायमान मछलियाँ होनोलूलू के तट की हैं । एक सिडने ब्रिज का पैदल चलकर देखने में बिताया । इस पुल की कारीगरी देखने व समझने का यही ज़रिया है । जिन चार खम्भों पर पुल का भार टिका हुआ है वे पत्थर के हैं । और २८५ फुट ऊँचे हैं। उन पर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं और उन पर से शहर का अच्छा दर्शन होता है । एक दिन मैनली -बीच पर जाकर बिताया । वहाँ एक तरफ़ सुरक्षित स्नान- तट हैं। समुद्र की पदी से जल से क़रीब बीस फुट ऊँची लोहिया जाली जड़ दी गई है, जिससे जाली के इस तरफ़ समुद्र स्नान करनेवालों को शार्क मछली या अन्य जल-जन्तुओं का भय न रहे । यह सिडनेबन्दरगाह के मुहानेवाली एक चट्टान पर स्थित है । भीतर की तरफ़ सुरक्षित स्नान-तट है और बाहर की तरफ़ खुला समुद्र नहाने के लिए है । जल-जन्तुनों से बचा का कोई इंतिज़ाम नहीं है, तो भी लहर -स्नान का लाभ लेते हुए असंख्य आदमियों को देखकर उनकी निर्भीकता की प्रशंसा करनी ही पड़ती है । एक प्रतिष्ठित मिलनसार श्रादमी से भेंट करने के लिए मिस्टर नाइट के एक मित्र ने बूम्बा से लिख दिया था । उन्होंने मेरी ख़ातिरदारी में कुछ उठा नहीं रक्खा । अपने कई मित्रों से मेरी जान-पहचान कराई और मेरे सातों दिन सिडनी में किसी न किसी के साथ लंच या डिनर का न्योता रहा । मोटरकार में इधर-उधर की बहुत-सी सैर कराई और सिडने के रात्रि - जीवन का भी उनकी कृपा से बहुत कुछ अनुभव हुआ । . ३ अक्टूबर को मेरा जहाज़ मेल्बोर्न के लिए रवाना हुा । जहाज़ पर देखा कि एक हिन्दुस्तानी सज्जन अपनी स्त्री के साथ टहल रहे हैं । दूसरे बैंगनी मख़मली टोपी लगाये अँगरेज़ी पोशाक में एक किनारे खड़े हैं। चार आदमियों का एक झुंड सस्ती व भद्दी अँगरेज़ी पोशाक पहने एक तरफ़ बात-चीत कर रहा । यहाँ इतने हिन्दुस्तानी आदमियों के मिलने की मुझे उम्मीद नहीं www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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