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________________ कोयटे का प्रलय लेखक, श्रीयुत तिलकराज भसीन, [इस लेख के लेखक महोदय कोयटा भूकम्प के सम्बन्ध में श्रीयुत जयराम दास दौलत राम से बातें कर रहे हैं ।] [मेघराज मोटर कंम्पनी का ध्वंशावशेष रेड क्रास के कार्य-कर्ताओं के साथ लेखक महोदय घुटने पर हाथ रक्खे खड़े हैं ।] CNN यटा भूकम्प, वह रोमांच- कोयटा में भूकम्प पीड़ितों के सहायतार्थ बाहर कारी दुर्घटना, जिसने केवल से कोई नहीं जाने पाया। यह सौभाग्य केवल हिन्दुस्तान में ही नहीं बरन । रेड क्रास सोसाइटी को मिला, जिसके साथ सारे सभ्य-संसार में सनसनाहट और व्याकुलता सुन्दर नगर एक-दम बंजर-उजाड़ हो गया, जहाँ अब उत्पन्न कर दी है, संसार के मृत्यु, दुर्गन्ध और धूएँ का साम्राज्य है। पर्वत इतिहास में सदा के लिए अब भी वैसे ही शोभायमान खड़े हैं, चश्मे अब भी प्रकृति के क्रूर प्रकोप, उद्दण्डता व बर्बरता का एक वैसे ही बह रहे हैं, फल-फूल-युक्त बारा अब भी विशेष दृष्टान्त रहेगा-कोयटे का भूकम्प जिसने अपनी छटा दरसा रहे हैं, चन्द्र, सूर्य, तारागण अब हाल में इसी ३१ मई की रात को २ बजने के भी उस नगर का अन्धकार दूर करने का प्रयत्न पूर्ववत् ४५ मिनट बाद उस “हिन्दुस्थान की सुन्दर उद्यान करते हैं; मगर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति ने वाटिका” को श्मशान में परिणित कर दिया मनुष्य और उसकी बनाई सभ्यता से बदला लिया है, हमें पुराणों में वर्णित उस महाप्रलय का, जब है ! उस रमणीक इलाके के अत्यन्त स्वास्थ्यप्रद भोले बाबा महादेव नग्न होकर डमरू बजाते ताण्डव- जलवायु में पले हुए हजारों सुन्दर स्वस्थ नरनारी नृत्य करेंगे और सारी सृष्टि 'त्राहिमाम्' पुकारेगी, सदा की नींद सो गये ! बड़े बड़े नगरसेठ दाने-दाने स्मरण कराता है। यह विश्वास नहीं होता कि कैसे को मुहताज हो गये, हजारों बच्चे अनाथ, और कुछ मिनटों में वह फल-पुष्प-वाटिकाओं से सुसज्जित सैकड़ों सधवायें विधवायें हो गई। धन-माल की
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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