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________________ संख्या ६] पुरातत्त्व की दृष्टि से अन्य प्राचीन नगरों के ध्वंसावशेषों के विपरीत पाम्पियाई में वास्तुकला की अनेक विभिन्न शैलियों का साक्षात् होता है। कहीं कहीं लावा के ढोकों से युक्त पत्थर के गम्भीर और स्थूल तोरण हैं और कहीं मूर्तियों और भित्तिचित्रों से अलंकृत गृह-द्वार हैं, जो निर्माणकला की एक सर्वथा भिन्न शैली का परिचय योरप - जैसा कि मैंने उसे देखा देते हैं। विनाश के पूर्व इस नगर की जनसंख्या सम्भवतः २५,००० थी। नगर के स्थायी निवासियों के अतिरिक्त उसके औद्योगिक और व्यापारिक महत्त्व के कारण व्यापारियों की एक बहुत बड़ी संख्या उसमें आकर वास किया करती थी । हम नेपल्स में तीन दिन ठहरे और पाम्पियाई विसूवियस और संग्रहालय देखा । संग्रहालय में वे विचित्र मूर्तियाँ जो खोदकर निकाली गई हैं, प्रदर्शन के लिए रक्खी गई हैं। नेपल्स के इस संग्रहालय में बहुत-सी विख्यात रोमन - मूर्तियाँ भी हैं। कुछ मिस्र की विख्यात मूर्तियाँ भी इसमें संगृहीत हैं। रोमन लोगों की उन दिनों की महान संस्कृति को देखकर चकित हो जाना पड़ता है। यूनानी मूर्तियों में से कुछ तो बहुत ही आश्चर्यजनक हैं। वे अधिकतर पौराणिक विषयों से सम्बन्ध रखती हैं। यूनानी पुराण-शास्त्र अत्यन्त मनोरञ्जक है । ये संगमरमर की प्रतिमायें उसी यूनानी पुराण के महान योद्धाओं के पराक्रम, महान् प्रेमियों और शक्तिमान तथा निर्दयी राजाओं की गाथायें कहती हैं । चारु वेनस, अनुपम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ५४३ [पाम्पियाई का संग्रहालय ] ईरिस और नील नदी की प्रस्तर प्रतिछाया आदि उन प्रसिद्ध मूर्तियों में से कुछ हैं जिनका नेपल्स के इस संग्रहालय को गर्व है। सभी संगमरमर सफेद नहीं हैं, किन्तु विभिन्न रङ्गों के हैं और विभिन्न देशों से लाये गये थे । ये पत्थर अब अप्राप्य हैं, इसलिए ये प्रतिमायें बड़ी मूल्यवान हैं । हमारे नेपल्स में ठहरने के दूसरे दिन एक इटालियन भद्र पुरुष से जो अच्छी अँगरेजी बोल सकते थे, मेरी भेंट हुई। इटालियन संस्कृति और फ़ैसिस्ट आन्दोलन के सम्बन्ध में मेरी उनकी कई घंटे बड़ी मनोरञ्जक बातें हुई । मैंने उन्हें और उनकी प्रिय पत्नी को 'लच' के लिए निमंत्रित किया और उसके बाद हम खाड़ी के गिर्द के बाग़ों में जी बहलाने को गये। फैसिस्ट सरकार क़ायम होने के बाद से इटली की चतुर्मुखी उन्नति के सम्बन्ध में उन्होंने बातें करनी शुरू कीं । कला, व्यवसाय और कृषि की उन्नति अत्यन्त स्पष्ट है । देश में मुसोलिनी की लोकप्रियता बहुत बढ़ी हुई है। मैंने www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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