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________________ संख्या ५] सामयिक साहित्य ४७३ प्रधानमंत्री के कार्यालय में भी हिटलर की रक्षा का सम्भवतः कांग्रेस में दोनों प्रकार के विचार रखनेबड़ा प्रबन्ध है । वहाँ १०० सशस्त्र सिराही उनकी रक्षार्थ वाले लोग हैं। और इस प्रश्न पर राय देने से किसी रहते हैं । इन लोगों के हाथों में राइफ़लें रहती हैं और एक दल के असन्तुष्ट हो जाने का भय था, इससे ये सिर पर लोहे के हैलमेट पहने रहते हैं। जिस कमरे में समिति ने इस प्रश्न को 'लखनऊ-कांग्रेस त डिक्टेटर महोदय श्रागन्तुकों से मिलते हैं उसमें भी इन टाल दिया है। इस पर 'आज' ने एक अग्रलेख लोगों का एक दल मौजूद रहता है। इसके सिवा प्रकाशित किया है, जिसका कुछ अंश इस प्रकार हैहिटलर के दफ्तरों की इमारतों के बरामदे भी इन १५ अक्तूबर को मदरास में कांग्रेस-कार्यसमिति ने पहरेदारों से भरे रहते हैं। पुनः यही निश्चय किया कि कांग्रेसवालों के नये शासन डिक्टेटरों को देश भर में समय समय पर दौरा करने में सरकारी पद-ग्रहण करने न करने के सम्बन्ध में कोई की आवश्यकता रहा करती है। इसके लिए हिटलर और राय देने का समय अभी नहीं पाया है। उसके मत से मुसोलिनी दोनों ही हवाई जहाज़ का उपयोग करते हैं। इस समय कोई राय देना 'नीतिविरुद्ध, असामयिक और भारत के वायसराय को भी यही सवारी अधिक पसन्द हानिकारक' होगा । कार्यसमिति के प्रति गम्भीर आदर आई है, क्योंकि उनको भी आक्रमण का खतरा काफ़ी रखते हुए भी हम इस मामले में उससे सहमत होने में रहता है। हिटलर के हवाई जहाज़ में एक कमी अवश्य अपने आपको असमर्थ पाते हैं । नये शासन में कांग्रसरहती है। उसमें अन्य डिक्टेटरों के हवाई जहाज़ों की वाले सरकारी पद-ग्रहण करें अथवा न करें, इस तरह मशीनगनें नहीं लगी रहतीं।। सम्बन्ध में आज कोई निर्णय करना 'अनैतिक, असामयिक हिटलर का मोटरकार चारों तरफ़ से बन्द और शक्ति- और हानिकारक' क्यों होगा । जब तक नया विधान बन शाली इंजनवाली गाड़ी होता है। हिटलर जब कभी सार्व- नहीं गया था तब तक यह कहा जाता था कि वह विधान जनिक उत्सव में भाग लेने के लिए जाते हैं तब ड्राइवर देखे बिना कोई राय नहीं दी जा सकती, यद्यपि यह राय और शोफ़र के बग़ल में बैठनेवाले दोनों सजन उच्च पदा- दे दी गई कि कांग्रेस की और जनता की सम्मति के धिकारी होते हैं । पिछलीवाली पाँच सीटों में ५ तेज़ गोली बिना जो विधान बनाया जायगा वह कांग्रेस को स्वीकृत चलानेवाले सैनिक घुटनों के बीच बन्दुक्क साधे बैठे रहते न होगा । एक महान् सिद्धान्त के आधार पर यदि विधान हैं और उनकी कमर में पिस्तौल लटकी रहती है। ये ही अस्वीकृत किया जा सकता है तो क्या वही आधार लोग भीड़ में दोनों तरफ़ बड़ी सतर्कता से अपनी नज़र पद-ग्रहण न करने की राय देने के लिए पर्याप्त कारण डालते चलते हैं। सैनिक अफसर भी हथियारों से लैस नहीं है ? रहते हैं। इस परिस्थिति में यदि कोई भीड़ में से मोटर वे व्यावहारिक बातें क्या है ? हम कार्यसमिति के की ओर आगे बढ़ने का प्रयत्न करे तो गज़ भर आगे भीतर की बातें नहीं जानते और न किसी को जानने का श्राने के पहले ही उसकी मृत्यु हो जायगी । अधिकार ही है। एक बात जो स्पष्ट देखने में आती है, यह है कि कांग्रेस के नेताओं में ही इस प्रश्न पर घोर मतभेद हो गया है। एक पक्ष पद-ग्रहण करने पर तुला असामयिक क्यों ? हुआ है तो दूसरा पक्ष उसका वैसा ही घोर विरोधी भी है। नवीन शासन-विधान के कार्य्यरूप में परिणत एक तीसरा भी पक्ष है, पर वह बेचारा इस समय निर्बल होने पर कांग्रेसवाले उसमें पद-ग्रहण करें या न करें हो रहा है, जो समझता है कि कांग्रेसवालों का कौंसिलों इस प्रश्न पर, मदरास में कांग्रेस की जो कार्यसमिति में जाना ही उचित नहीं है। आपस के इस विरोध को बैठी थी उसने कोई अन्तिम निर्णय नहीं किया। देखकर ही यदि कार्यसमिति इस समय इस विषय पर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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