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________________ ४५२ सरस्वती [ स्फिंग्ज़ के निकट नमाज़ का एक दृश्य (कैरो) ] में भीषण बेकारी के कारण यूनानियों की एक यथेष्ट संख्या समुद्र-पार करके मिस्र में आ बसी है। उसने कैरो की एक लड़की के साथ शादी कर ली है । उसने हमसे मिस्रियों की हास्यपूर्ण कहानियाँ कहीं कि वे किस प्रकार उसकी स्त्री के यूनानी गिर्जे में [ रेगिस्तान का एक दृश्य ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३६ दीक्षित हो जाने के कारण रुष्ट हैं। हमें बालू की बड़ी बड़ी पहाड़ियाँ दिखाई पड़ीं। ये सब हिमाच्छादित पर्वत के समान श्वेत थीं और उस महान मरुभूमि के ऊपर उठ रही थीं। कभी कभी हमें हरियाली का एकाध छोटा टुकड़ा मिल जाता था परन्तु मनुष्य की कोई बस्ती वहाँ नहीं थी। कहीं कहीं सड़क की मरम्मत हो रही थी और बलिष्ट सुडानी वहाँ काम कर रहे थे । वे प्रायः ऊँचे क़द के लोग थे और उनका स्वास्थ्य अच्छा था । परन्तु उनके शरीर पर कपड़े बहुत कम थे । यह भूमि सर्वथा शून्य है और कहीं कहीं कृषि के लिए, जो कुछ प्रयत्न हुए भी हैं वे सिंचाई का प्रबन्ध www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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