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________________ संख्या ५] योरप जैसा कि मैंने उसे देखा ४५१ NEEDED [स्वेज़ नहर में (पोर्ट सईद के करीब)] पाठक जानते हैं कि अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि-कोण से नग्न पर्वत के सर्वथा उदासीन दृश्य के अतिरिक्त यह नहर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। स्वेज़ कैनाल और कुछ न था। सौभाग्य से प्रातःकाल शीतल कम्पनी, जिसका कि इस नहर पर अधिकार है, एक था इसलिए हमें बहुत बेचैनी का अनुभव नहीं अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। परन्तु अधिक हिस्से अब हुआ । 'कार' का ड्राइवर एक नवयुवक यूनानी था ब्रिटिश गवर्नमेंट के हाथ में हैं, यद्यपि इसके कर्मचारी जो मिस्र देश में छुटपन में ही आया था और तभी प्रायः फ्रांसीसी हैं। इसलिए स्वभावतः यह कहा से वहाँ रह रहा है। उसकी अरबी निर्दोष और जा सकता है कि नहर की कुञ्जी ब्रिटेन के हाथ में अँगरेज़ी साधारण थी। हमें ज्ञात हुआ कि यूनान है जो कि राजनैतिक दृष्टिकोण से उसके लिए एक महान जय-हर्ष का विषय है। स्वेज-शहर काफी बड़ा है 'सरस्वती' में अपने यात्रा-सम्बन्धी लेखों का और उसका विकास मुख्यतः कम्पनी की बहुसंख्यक मासिक क्रम जारी न रख सकने के लिए मैं इमारतों और उसके अफसरों के बँगलों से हआ है। अपने पाठकों से क्षमा-प्रार्थी हूँ। इस यात्रा शहर का नवीन विकास सवथा आधुनिक है और में लेखनी के लिए मुझे बहुत कम अवकाश जो लोग वहाँ रहते हैं उनकी माँगों की पूर्ति के लिए मिला। साढ़े चार महीने से कुछ अधिक वहाँ बहुत-सी बड़ी बड़ी दूकानें खुल गई हैं। प्रवास के पश्चात् मैं आक्टोबर के प्रारम्भ में स्थानीय निवासियों की बस्ती ज़रा गन्दी है । साधा स्वदेश लौट आया । मुझे आशा है कि मेरे रण शिष्टाचार के बाद हम 'कुक' के लाञ्च से किनारे संस्मरणों के मासिक वर्णन का क्रम अब भङ्ग पर गये और सीधे मोटर-कार में सवार हो गये।। नहीं होगा और जो पाठक योरप नहीं गये हैं, हम द्रत गति से कैरो की ओर, जो बन्दर से लगभग उन्हें ये लेख रुचिकर प्रतीत होंगे। लेखक ७५ मील की दूरी पर है, बढ़े। हमारा मार्ग मुख्यतः रेगिस्तान से होकर गया था। सड़क के दोनों ओर Shree Sudharmaswami Cyanbhandar-Umara. Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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