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________________ सरस्वती [भाग ३६ र्तित हुआ करते हैं। मोरक्को में वधू और वर की साने की प्रथा बहुत प्रचलित है। भारत के अलावा, दाहनी चट्टी में सुई अथवा थोड़ा-सा नमक भूतों हिन्द-चीन, मलयद्वीप-समूह से लगाकर अटलांटिक से बचाव के लिए रख दिया जाता है। नार्वे, स्वीडन महासागर तक यह प्रथा पाई जाती है। सभी योर और अन्य अनेक देशों में जूतों में सिक्के इसी लिए. पीय देशों में चावल और मिठाई वर-वधू पर बररख दिये जाते हैं कि वर-वधू जादू-टोने से सुरक्षित साई जाती है। प्राचीन ग्रीस में वर के घर में घुसते ही वयू चूल्हे के सामने ले जाई जाती थी और उस ___ इंग्लैंड, स्काटलैंड, डेनमार्क, राइन नदी के पर खजूर, अंजीर, मेवा, छोटे छोटे सिक्के इत्यादि किनारे (जर्मनी इत्यादि), ट्रांसलवानिया के जिप्सियों बरसाये जाते थे। स्लेवोनिक देशों में अनाज इत्यादि और प्राचीन यूनानियों में यह प्रथा प्रचलित पाई वर-वधू के जुलूस पर फेंका जाता है। फ्रांस में गेहूँ जाती है कि वर-वधू पर पुराने जूते फेंके जाते हैं। वरमाया जाता है और वधू का स्वागत तीन रोटियों अधिकांश देशों में नवदंपति पर यह विचित्र बौछार से किया जाता है। इंग्लैंड में चावल के अलावा गेहूँ गिरजाघर से शादी के बाद निकलने पर या शादी भी वधू पर फेंका जाता था। ब्रिटेन में बहुत-सी की दावत से उठने पर होती है, पर कहीं कहीं वर जगहों में रोटियाँ वधू के सिर के ऊपर तोड़ कर और वधू पर अलग अलग भी यह बौछार होती है गिराई जाती हैं और उनके नीचे गिरते ही लोग उन जैसा कि आइल अाफ़ मैन नामक टापू में इमका पर टूट पड़ते हैं, क्योंकि उन टुकड़ों का खाना बड़ा रवाज था। इस प्रथा के कई कारण बताये गये है। शुभ समझा जाता है। रोम में वर मेवा बिखराता कहा जाता है कि इससे भाग्योदय की कामना प्रद- हुआ चलता है। यह सब इसलिए किया जाता है शित होती है अथवा मातृत्व में यह प्रथा सहायक कि वधू फलवती हो। जैसे अनाज और फलों के होती है अथवा ऐसा करने से जादू-टोने से बचाव बीजों से और अनाज और फल उत्पन्न होते हैं, इसी होता है। यह भी कहा गया है कि यह प्रथा उस भाँति स्त्री से पुत्र और पुत्रियाँ उत्पन्न होती हैं। इसी ज़माने की है जब वर वधू को उठाकर ले जाया करता लिए. ये चीजें नव दंपति पर फेंकने से वधू जादू से था और वधू के सम्बन्धी लड़ाई की नक़ल करते हुए फलवती बनती हुई समझी जाती है। मोरक्को में वर पर जते फेंका करते थे। यह भी सम्भव है कि ये यह कहा जाता है कि जो खजर. अंजीर और जूते पहने हए जूतों के अलावा जादू से राह चलने में किशमिश इत्यादि वधू पर फेंका जाता है वह पद-वाण बनते समझते गये हों, जो जमीन छूने से उसे अपने पति के लिए मीठी बनाता है। वर-वधू को बचायें । भारतको में वर-वधू इसका बड़ा मछली और अंडों का भो व्यवहार इसी काम के खयाल रखते हैं कि उनकी चट्टियां कहीं खिसक कर लिए किया जाता है। एशियाई यहूदियों में नव गिर न पड़े और चीनी वधू जमीन से स्पश बचाने दंपति धर्म-संस्कार के अनन्तर तुरन्त ही मछलियों से के लिए अपने पिता के जूते पहना करती हैं। पृथ्वी भरी हुई एक बड़ी तश्तरी के ऊपर से तीन बार के स्पर्श होते ही भूतों के अंग में घुस आने का डर कूदते हैं। बहुत-सी मछलियाँ न हों तो एक जीवित रहता है! मछली के ऊपर तीन छलाँगे मारी जाती हैं अथवा - इसी भाँति को जादू-टोने की एक प्रथा का मंशा मछली के ऊपर सात बार आगे और पीछे चला वधू को फलवती (माता) बनाना है। हिन्दुओं में जाता है। और यह प्रथा सन्तान-प्राप्ति के लिए नव-दंपति के ऊपर मंडप के नीचे अनाज फेंका जाता प्रार्थना समझी जाती है। मोरक्को के यहूदियों में है। अनाज, मिठाई, फल इत्यादि इस भाँति बर. विवाह के दिन वर एक कच्चा अंडा वधू पर फेंकता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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