SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 452
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४१२ सरस्वती था । अनेक लोगों ने अपना बड़प्पन प्रकट करने के विचार से बहुत-सी बातें झूठ-मूठ गढ़ ली थीं और उनका सम्बन्ध हज़रत के साथ बतलाया था। ऐसी हालत में दूध का दूध और पानी का पानी करना कठिन काम था । यही कारण है कि कुछ लोगों ने लाखों हदीसें एकत्र कीं, परन्तु उनमें से बहुत कम को ही ठीक माना और उन सभों का विषयानुसार सम्पादन किया । यहाँ एक हदीस का अर्थ दिया जा रहा है"हमको बतलाया मुहम्मद के पुत्र अब्दुल्ला ने और उस (अब्दुल्ला ने कहा कि हमको क़ासिम के पुत्र हाशिम ने बतलाया और उस ( हाशिम) ने कहा कि हमको शैबान अबू मोबिया ने बतलाया और उससे कहा लाक़ा के पुत्र ज्याद ने और उससे कहा शोबा के पुत्र मुग़ीरा ने कि हज़रत मुहम्मद के समय में सूर्य ग्रहण लगा और उसी दिन हजरत के पुत्र इब्राहीम का देहान्त हो चुका था। इस पर लोगों ने कहा कि इब्राहीम की मृत्यु के कारण सूर्य ग्रहण लगा है। इस पर हज़रत ने कहा कि वास्तव में सूर्य व चन्द्र ग्रहण किसी के मरने व जीने के कारण नहीं लगा करते सो जब तुम ग्रहण देखा करो तो नमाज़ पढ़ा करो और प्रार्थना किया करो। " इस अनुवाद से स्पष्ट है कि असल हदीसे किस किसके पास से होकर लेखक तक पहुँची हैं और इनमें से प्रत्येक वर्णनकर्ता का हाल अर्थात् उसकी सचाई - कुठाई की छान-बीन के हेतु लेखक को कितना कष्ट उठाना पड़ा होगा । निदान ज्ञात रहे कि जिस हदीस के वर्णनकर्ता सत्यवादी तथा आचार-विचार के ठीक थे और जो हदीस भी 1. कुरान के बतलाये हुए धर्म के अनुकूल थी वही ठीक * यह संकेत हदीस के लेखक इमाम बोखारी की श्रोर है। देखा ‘सहीह बोखारी' मिस्र का संस्करण, भाग प्रथम, पृष्ठ १२० । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [ भाग ३६ मानी गई है। यदि वह ठीक बात नहीं है अथव उसके वर्णनकर्ता में कुछ त्रुटि पाई गई तो हदीस कमज़ोर अथवा अविश्वसनीय मान गई है। प्रत्येक वर्णनकर्ता के नाम से प्रत्येक हदी बहुत बढ़ जाती हैं, इसलिए वर्णनकर्ताओं का नाम उड़ाकर अर्थात् केवल असल हदीस को सम्मुख का कुछ लोगों ने हदीसों का संक्षेप किया है अथव यह कि उनको छाँट छाँट कर नये ग्रन्थ रच दिये हैं। परन्तु साथ ही साथ यह भी ज्ञात रहे कि हदीस के बड़े बड़े ग्रन्थों की बड़ी बड़ी टीकायें भी लिखी गई हैं और उनके पठन-पाठन की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है । जो हदीसें क़ौली हैं अर्थात् जो मुहम्मद साह के कथन हैं वे सर्वथा अथवा प्रायः उन्हीं शब्दों हैं जिन शब्दों में हज़रत ने उन्हें कहा है, किन्तु जं अन्य श्रेणियों की हदीसें हैं उनके शब्द अवश्य दूसरे के हैं । इसमें सन्देह नहीं कि हज़रत मुहम्मद के वचन धार्मिक दृष्टि से बहुत आदर की दृष्टि से देखे जाते हैं, किन्तु ये वचन साहित्यिक दृष्टि से भी कुछ कम उच्च पद नहीं रखते। इसके सिवा यह भी ज्ञात रहे कि हदीसों से क़ुरान की टीका तथा टिप्पणी करने में बहुत मदद ली जाती है, मुहम्मद साहब के जीवन पर बहुत कुछ प्रकाश पड़ता है और अन्य अनेक घटनाओं के सम्बन्ध में बहुत-सा ज्ञान प्राप्त किया जाता है । हदीसों के विषय में ऊपर जो कुछ लिखा गयाहै वह सुन्नी मुसलमानों के मत के अनुसार है। शिया मुसलमान हदीस के उन ग्रन्थों को पूर्णतया ठीक नहीं मानते जिनको सुन्नी मानते हैं । शिया लोग केवल थोड़े से विशेष लोगों की बतलाई हुई हदीसों को ही ठीक मानते हैं और ऐसी हदीसों को मानते हैं। जो क़ुरान में आई हुई बातों के अनुकूल हैं। www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy