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________________ संख्या ४] सम्पादकीय नोट ३३. २५,६०० प्रतिद्वन्द्वी भाग लेंगे। कोई एक हज़ार निर्णायक आदि रखने का पूरा पूरा अधिकार सबको मिलना उतने ही सहायकों के साथ खेलों में हार-जीत का निर्णय चाहिए। करेंगे। ये खेल १६ दिन तक होंगे। देखें भारत इस बार साम्प्रदायिकतावाद का विष कैसा रूप प्रकट करता है। पंजाब इस समय साम्प्रदायिक आन्दोलन का केन्द्र बन गया है। शहीदगंज के गुरुद्वारे की मस्जिद के अस्त्र-धारण करने का हक सिक्खों-द्वारा गिरा दिये जाने से वहाँ का साम्प्रदायिक पञ्जाब में सिक्खों को कृपाण रखने का सरकार से आन्दोलन अधिक उग्ररूप धारण कर गया है। परन्तु कानूनी अधिकार प्राप्त है। पिछले दिनों दो दो कृपाणे पंजाब के इस आन्दोलन में वहाँ के सभी मुसलमान धारण करने के कारण सिक्खों पर दो मुकद्दमे चले। शामिल नहीं हैं । तो भी उसे उनके एक बहुत बड़े समूह पहले मुकदमे में तो मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त को यह कह से सहायता मिल रही है। हाल में इस आन्दोलन ने कर छोड़ दिया कि कानून में ऐसा उल्लेख नहीं है कि अपना एक भयानक रूप प्रकट किया है। वह यह कि एक ही कृपाण धारण की जाय । परन्तु दूसरे मुक़द्दमे में इस आन्दोलन के प्रमुख संचालक मौलाना पीर जमायत अभियुक्त सिक्ख को सज़ा दे दी गई। इस पर अमृतसर अलीशाह ने यह घोषणा की है कि मुसलमान लोग गैर में सिक्ख दो दो कृपाणें लेकर जुलूस बना कर घूमें। मुसलमानों का माल न मोल लें। इस साम्प्रदायिक बाययह हो ही रहा था कि पंजाब के मुसलमानों ने तलवार काट के प्रचार से जो साम्प्रदायिक ईर्ष्या-द्वेष बढ़ेगा सो बाँधने की माँग पेश की। इस कशाकशी को देखकर तो बढ़ेगा ही, उसके साथ ही एक यह हानि भी होगी कि सरकार ने पंजाब-निवासियों को क्या सिक्ख, क्या मुमल- नये सुधारों के अनुसार पंजाब में समुचित रूप से शासनमान और क्या हिन्दू सबको तलवार बाँधने की अनुमति प्रबन्ध भी न हो सकेगा। सारे प्रान्त को विशेषाधिकारों दे दी है। से। इस प्रकार पंजाबियों को तलवार बाँधने का के शासन के अधीन रहकर ही कष्टप्रद जीवन व्यतीत करना अधिकार दे दिया गया है । आत्मरक्षा के लिए हथियार पड़ेगा। इस अवसर पर पंजाब का यह साम्प्रदायिक रखना प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। परन्तु संघर्ष सारे देश की शान्ति के लिए घातक ही नहीं सिद्ध भारतीय अपने इस अधिकार से भी वञ्चित हैं । तलवार होगा, किन्तु इससे देश की उन्नति का मार्ग भी अवरुद्ध क्या, उन्हें तो बन्दूक भी रखने का अधिकार मिलना हो जायगा। आश्चर्य है, इसके पुरस्कर्ता इस बात की चाहिए। डाकू तथा उनके जैसे दूसरे आततायी जब सभी ओर ध्यान नहीं देते। तरह के हथियार रखते ही नहीं, किन्तु आये दिन उनका उपयोग तक करते पाये जाते हैं और सरकार की पुलिस श्रीयुत राधामोहन गोकुल जी उनसे शान्तिप्रिय नागरिकों की रक्षा नहीं कर पाती है तब हिन्दी के वयोवृद्ध प्रसिद्ध लेखक श्रीयुत राधामोहन तो प्रत्येक नागरिक को अपनी जान-माल की रक्षा के लिए गोकुल जी का ३ सितम्बर को स्वर्गवास हो गया । आप बड़े सभी तरह के आवश्यक हथियार रखने का हक मिलना मिलनसार, सरल और उत्साही देशभक्त थे। समय समय चाहिए । पंजाबियों को तलवार रखने का अधिकार देकर पर अापने कई पत्रों का बड़ी दक्षता के साथ सम्पादन किया सरकार ने इस माँग के उपस्थित करने का मार्ग अपने आप है। नागपुर का 'प्रणवीर' आपकी इस ओर की योग्यता का परिष्कृत कर दिया है। जनता के नेताओं को इस ओर पूरा प्रमाण है। पत्र-पत्रिकाओं में श्राप बराबर लेख ध्यान देना चाहिए । और नहीं तो कम से कम देश के उन लिखते रहे हैं और सदा कोई उद्देश रखकर लिखते रहे उन भागों के निवासियों में से अधिकांश को जहाँ आये हैं। आपके कुछ महत्त्वपूर्ण लेख 'विप्लव' नाम से । दिन सशस्त्र डाके पड़ते रहते हैं, आत्मरक्षा के लिए बन्दूक्ने पुस्तक रूप से प्रकाशित हुए हैं। आप सदा किसी न Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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