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________________ ३८२ सरस्वती [भाग ३६ वहाँ आते-जाते भी रहते हैं। इसमें उनका स्वास्थ्य भारत की दरिद्रता गिरने नहीं पाता। कहने का मतलब यह है कि यहाँ के भारत किसी समय संसार में सोने की चिड़िया के उष्ण जलवायु का लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा बुरा प्रभाव नाम से प्रसिद्ध था। परन्तु आज वह संसार का सबसे पड़ता है। अधिक दरिद्र देश गिना जाता है। यह बात केवल परन्तु जलवायु का यह दूषित प्रभाव ऐसा नहीं भारतीय ही नहीं कहते हैं; किन्तु इसको स्वयं पाश्चात्य है कि इसका वारण न हो सके । दूसरे देशों के अनुभवों लोग भी कहते हैं, साथ ही सप्रमाण कहते हैं । अभी से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि जलवायु का दूषित हाल में प्रसिद्ध व्यङ्गय-चित्र-निर्माता मिस्टर जे० जी० प्रभाव बहुत कुछ दूर किया जा सकता है। इंग्लैंड के होर्राबिन ने अपने एक भाषण में भारत की दरिद्रता का दूषित जलवायु का प्रभाव नये ढंग के मकान बनाकर वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि भारत में प्रति व्यक्ति तथा पानी के निकास की उचित व्यवस्था कर दूर किया की प्राय का औसत २ पौंड वार्षिक है । इधर ब्रिटेन में जा चुका है। पहले शीत के प्राधिक्य से वहाँ के ५० पौंड वार्षिक आय का औसत है। और भारत की यह निवासी गठिया आदि रोगों से ग्रसित रहते थे, परन्तु रहन- दयनीय दशा उसके घरेलू धन्धों के विनष्ट हो जाने से सहन की प्रणाली में समुचित परिवर्तन कर देने से अब हुई है। सन्तोष की बात है कि अब जनता का, साथ ही वहाँ के लोग विशेष रूप से स्वस्थ रहते हैं। अभी अभी सरकार का भी ध्यान घरेलू धन्धों की ओर विशेष रूप से पनामा के मच्छड़ों को मारकर संयुक्त राज्य ने उस अंचल गया है । को मनुष्य के रहने के योग्य बना ही लिया है। परन्तु भारत के उष्णता-प्रधान जलवायु का प्रभाव दूर करना, बर्लिन में श्रोलिम्पक गेम उक्त डाक्टर साहब की राय में, असाध्य है, तथापि उचित इस बार अोलिम्पिक खेल जर्मनी की राजधानी बर्लिन व्यवस्था करने से वह बहुत कुछ रोका जा सकता है। में अगले वर्ष जून में होंगे और उसमें काई ५६ राष्ट्रों उनका कहना है कि यदि बाल-बच्चों के पालन-पोषण की के खिलाड़ी भाग लेंगे। इस सम्बन्ध में प्रचार-कार्य अभी ओर समुचित ध्यान दिया जाय तो इससे विशेष लाभ से शुरू हो गया है। यह सूचित किया गया है कि प्रतिहोने की सम्भावना है। उदाहरण के लिए ग्रीष्मकाल में योगिता में भाग लेनेवालों तथा खेलनेवाली टीमों के यदि वे पहाड़ों पर रक्खे जाया करें तो इससे लाभ हो नाम १८ जून तक तथा वे क्या क्या खेलेंगी तथा कौन न्तु यह एक उपाय भी सब किसी के लिए कौन खेलों में भाग लेंगी, इसकी सूचना २० जून तक सुलभ नहीं है । तथापि यह प्रश्न विशेष महत्त्व का है भिन्न भिन्न राष्ट्रों की तत्सम्बन्धी कमिटियों को बर्लिन और यदि इस सम्बन्ध में लोगों का समुचित रूप से ध्यान की तत्सम्बन्धी कमिटी के पास भेजना होगा। कुछ आकृष्ट किया जाय तो यदि उतना नहीं तो बहुत कुछ देशों ने अभी से आवश्यक सूचनायें भेज दी हैं। लाभ उठाया जा सकता है। पहाड़ी स्थानों के सिवा ऐसा जान पड़ता है कि संयुक्त राज्य ३२६, जापान २३०, दूसरे भी प्रयत्न किये जा सकते हैं, जिनसे इस देश के स्वीडन २२५, हंगेरी २४०, स्वीज़लैंड १००, पोलैंड १०३, निवासियों की गर्म जलवायु के प्रभाव से रक्षा की जा बल्गेरिया ७४, पेरू ४६, इस्टोनिया ५६ प्रतिद्वन्द्वी भेजेगा। सकती है। लोगों को साथ ही सरकारी स्वास्थ्य-विभाग अन्य देश अपने यहाँ से कितने खिलाड़ी भेजेंगे, इसका को भी, इस प्रश्न पर समुचित रूप से ध्यान देना ब्योरा अभी नहीं प्रकट हुआ है। चाहिए, क्योंकि यह समग्र राष्ट्र के जीवन-मरण का इस बार बर्लिन में १६ प्रकार के खेलों में प्रतिद्वप्रश्न है। न्द्विता होगी। १६३२ में लास एंजिल में कुल १४ खेल हुए थे । इन १६ खेलों में भिन्न भिन्न राष्ट्रों के काई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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