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________________ संख्या ४] ब्रूसेल्स से हार्बिन ३०१ - --+ + सरकार ने इस प्रदेश को फ़ौजी पड़ाव का रूप दे रक्खा अाया करते हैं । सन् १९०४ के बाद ही बैकाल के है । यह भी सुना गया है कि यहाँ किलों की एक बड़ी किनारे रेल की पटरी डाले जाने से ट्रांस सैबेरियन रेलवे शृंखला है। मंगोलिया को हड़पने की जापानी नीति के पूर्ण हो सकी है। ७॥ बजे शाम को बैकाल झील के दाँव-पेंच से सोवियट को बड़ा खतरा है। इस कारण सेवियट किनारे से हमारी ट्रेन जा रही थी। तीन घण्टे तक बैकाल ने यहाँ ऐसा प्रबन्ध कर रक्खा है कि लड़ाई के मौके पर झील के किनारे किनारे स्वर्गीय दृश्य था । मीठी मीठी और मास्को की सहायता के बिना ही काम चल सके । लाखों भीनी भीनी सुगंध से भरी हुई खुशबूदार हवायें, झील में की तादाद में लोग यहाँ खेती करने के लिए बसाये गये हैं, हंसों की कतारें और रंगबिरंगे फूल, आस-पास लताकुञ्ज, जिससे रसद में सहायता मिल सके । सैबेरिया की लोहे और वृक्ष और बीच बीच में आ जानेवाले छोटे छोटे गाँवअन्य वस्तुओं की खदानें खोदी जा रही हैं और कोशिश एक हृदयग्राही दृश्य उपस्थित कर रहे थे। रास्ते में थोड़े इस तरह की हो रही है कि यह प्रदेश स्वावलम्बी रहे। न बहुत ४० बोगदों में से गुज़रना और इस तरह पचास इस प्रदेश का संचालन सोवियट प्रजातंत्र के हाथ में मील बोगदों के भीतर ही भीतर गुज़र गये। है, लेकिन प्रान्त की जनता का उसमें सबसे अधिक आधी रात का सूर्य-इस तरह दृश्य देखते भाग है। देखते जब करीब ११ बजने को थे तब सूर्य धीरे धीरे __इरकटस्क-दो दिन के बाद इरक्टस्क नगर मिला। अस्त हो रहा था। और उसकी सुनहरी किरणें बैकाल यह नगर बेकाल झील से निकली हुई नदी अंगारा के झील की शोभा को दुगुना कर रही थीं। मछुओं के किनारे पर है और पूर्वी सैबेरिया की राजधानी है। शहर अँड के झुंड गीत गाते हुए लौट रहे थे । बैकाल झील में में आबादी काफ़ी अच्छी है । सोवियट सरकार के सैबेरिया सील, सालम आदि अच्छी मछलियाँ हैं और उनका में निकलनेवाले सोने को शुद्ध करने का सभी काम यहीं पकड़ने का व्यवसाय काफ़ी तरक्की पर है। किया जाता है। शहर में नवीनता और आधुनिकता का बैकाल झील को पार करते समय हम आधी रात के समावेश है और उसे योरपीय तरीके पर आबाद करने की सूर्य के प्रदेश में थे। सैबेरिया का यह मध्य-भाग भी कम सभी कोशिशें जारी हैं। सुहावना नहीं था। रास्ते में कितनी ही ट्रेनें मिलीं, जिनमें बैकाल झील के किनारे- इसके बाद नदी के चीनी ईस्टर्न रेलवे के जापान को बेंच देने के सबब वहाँ किनारे ही किनारे लाइन है। ट्रेन में बैठे बैठे नदी की के बरखास्त कर्मचारी लौट रहे थे । इस प्रदेश में आबादी तलहटी साफ़ दिखती है। मेरे खयाल से तो दुनिया में काफ़ी अच्छी है और अधिक व्यापार नदियों के द्वारा होता है। अंगारा ही एकमात्र ऐसी नदी है जो इतने स्वच्छ जल- रूस की अन्तिम सीमा-बीस जून को हमें रूस वाली है। आस-पास लहलहाते हुए खेत और बगीचे और का अन्तिम प्रसिद्ध शहर चिता मिला । यहाँ प्रायः सभी बेफ़िक्र चरवाहों के झुण्ड किसी भी मनहूस की ज़िन्दगी रूसी यात्री उतर गये । ११ बजे हम रूसी रेलवे के अन्तिम को थोड़े समय के लिए अवश्य प्रसन्न कर देते हैं। स्टेशन मंचूली पर थे, जहाँ सभी मुसाफ़िर और रेलवे इसके बाद ट्रेन बेकाल झील के किनारे किनारे ४० अफ़सर उतर गये। हम मंचूरिया की सीमा में आगये थे । मील तक चली। एशिया में बेकाल झील मीठे यहीं से हमारा सामान चुंगीघर ले जाया गया। रूस पानी की सबसे बड़ी झील है और दुनिया में उसका की सीमा पर एक बार सामान पहले ही देखा जा चुका नम्बर छठा है। ज़रा कल्पना कीजिए-बैकाल ३६० था। लेकिन यह दूसरी परीक्षा थी। जापानी अफ़सरों का मील लम्बी और १८ से ६० मील तक चौड़ी है और कुल दौरदौरा था। इसमें अंधे को भी मालूम हो सकता था १४ हज़ार वर्गमील के क्षेत्र में है। पानी बड़ा साफ़ कि मंचूरिया का शासक हेनरी प्यू यू है या जापान का और स्वादिष्ट । सोवियट रूस के बहुत-से सैलानी यहीं सम्राट् । सब मुसाफिरों को पासपोर्ट-अाफ़िस में जाना पड़ा, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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