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________________ ३०० सरस्वती [सड़क के किनारे किनारे बर्फ़ का दृश्य ] है कि सैबेरिया उजाड़ और जंगली प्रदेश है, लेकिन यह खयाल भ्रम ही साबित हुआ । मेरे साथी एक जर्मन ने बताया कि पाँच वर्ष पहले का सैबेरिया सचमुच में श्रद्ध निर्जन था, लेकिन उसमें तो अब नई जान आ गई है। जगह जगह लकड़ी चीरने की मिलें मिलीं और मालगाड़ियों की ग्रामदरफ़्त ने यह साफ़ जाहिर कर दिया कि अगर यही प्रगति रही तो यह प्रदेश रूस का क्रीड़ास्थल बन जायगा । रूस के पंचवर्षीय प्रोग्राम की अभूतपूर्व सफलता के दर्शन यहीं हुए। मुझे तो यह दृश्य ठीक उत्तरी ब्रह्मदेश में सैर करने जैसा मालूम हुआ । ये सब दृश्य तो थे, लेकिन अकेले को इससे क्या राहत ? सौभाग्य से ट्रेन के हर एक डिब्बे में रेडियो लगा हुआ था और इस कारण जब आँखें थक जातीं तब रेडियो से यात्री मनोरंजन किया करते । हम पूर्वी सैबेरिया के प्रदेश में से जा रहे थे । हर स्टेशन पर कृषकगण दूध की बोतलें, अंडे तथा अन्य खाद्य वस्तुएँ लिये बेचने को खड़े थे। योरपीय रूस में ऐसा नहीं है, लेकिन इस प्रदेश में कृषकों का पाँच गायें अपनी तरफ से रखकर निजी ग्रामदनी बढ़ाने का हक़ मिला हुआ है । इसके सिवा मुर्गी पालने से जो ग्रामदनी हो वह भी किसानों की हो जाती है । अपने छोटे-से बग़ीचे में फल-फूल उपजा कर भी किसान आमदनी कर सकते हैं। लेकिन सरकार की ओर से जो संयुक्त खेती होती है उसमें काम करना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara: Surat [ भाग ३६ निश्चित वेतन मिलता है। दूसरे और तरीके से भी खेती होती है । बहुत-से किसान मिलकर इकट्ठी खेती करते हैं । जो कुछ पैदा होता है उसका ४० फ़ीसदी सरकार को दे देना पड़ता है । शेष बराबर बराबर बाँटकर ले लिया जाता है। उन्नति के मौके-जैसे शेष रूस में उन्नति के मौके हैं, वैसे यहाँ भी हैं। हर एक स्त्री-पुरुष अपने काम के बाद अगर खास पाठशालाओं में पढ़े तो उसे पदवृद्धि मिलती है । मज़दूरों को बड़ी सुविधायें हैं अफ़सरों को नहीं । मज़दूरों को एक कार्ड मिलता है। जिसके कारण उन्हें भोजनालय, ग्रामोद-प्रमोद गृह, थियेटर और जलपानगृहों में किराये में आधा पैसा लगता है । १००० रुबल पानेवाले इंजीनियर का कोई कार्ड नहीं मिलता, लेकिन २०० रुबल पानेवाले मज़दूर को मिलता है। स्त्रियों के धन्धे — सारे रूसी प्रजातंत्र में स्त्रियों के लिए कम श्रमवाले धन्धे नहीं हैं । सबसे अधिक मज़बूत पाया। रेल रही थीं, खदानों में वे जुटी थीं। माल चढ़ा उतार वे रही थीं। रूसी स्त्रियों का मैंने के सैबेरिया का बनारस-मास्को से रवाना होने के बाद सबसे पहला और मनोरञ्जक शहर नोवीसीवरस्क मिला । श्रोबी नदी के किनारे यह नगर बनारस-सा लगता है। ऊँचे ऊँचे शिखरों पर ठेठ नदी के तट पर बने हुए मकान बड़े ही सुन्दर मालूम होते हैं। हाँ, बनारस की गन्दगी इस शहर में नहीं है और न मार्क का उमड़ता हुआ समुद्र । हाँ, चर्चा के सुनहरे गुम्बद दर्शक का ध्यान सहसा आकर्षित कर लेते हैं । यह शहर सैबेरिया का प्रमुख व्यापारिक स्थान है और यहीं से अग्निबोटों के द्वारा सामान लाया और ले जाया जाता है। मध्य एशिया से व्यापार का केन्द्र यही है और रूस का पूर्वी सैबेरिया में फ़ौज का यह एक बड़ा केन्द्र है । यहीं रूसी फ़ौज का बड़ा अड्डा है, जो चीनी तुर्किस्तान, मंगोलिया आदि पर क़ाबू रखने में सहायक है। कई बड़े बड़े शस्त्रों के कारखाने इस शहर में हैं और हवाई फ़ौज का भी बड़ा केन्द्र है । जब से मध्य एशिया में जापान बढ़ा है तब से रूसी www.umaragyanbhandar.com किनारे वे काम कर मालगाड़ी के डिब्बों में
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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