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________________ सम्पादकीय नोट भारत के भावी वायसराय सुधार अपने वास्तविक रूप में कार्य का रूप ग्रहण करेगा। विचारत के वायसराय लार्ड विलिं- इसमें सन्देह नहीं कि आप प्रतिभाशाली तथा कार्यकुशल सबा गडन का कार्य-काल अगले राज-कर्मचारी प्रमाणित हुए हैं। अाशा है, भारत अापके वर्ष अप्रैल में समाप्त होगा, कार्यकाल में शान्ति और व्यवस्था का उपभोग करेगा। परन्तु उनके उत्तराधिकारी यह सच है कि श्रापको सुधारों के देशव्यापी विरोध के के नाम की घोषणा इस बार बीच में रहकर कार्य करना पड़ेगा, परन्तु यह तो सर्वविदित अाठ महीना पहले से ही कर बात है और यह सब जानबूझ कर ही आपको यह गौरव दी गई है। यह पूर्ण रूप से पूर्ण पद प्रदान किया गया है। तय हो गया है कि भारत के भावी वायसराय लार्ड लिनलिथगो होंगे। ग्राप ब्रिटेन के राजनैतिक क्षेत्र के प्रमुख व्यक्ति हैं । आपके घराने का साम्राज्य की सरकार से निर्वाचन-विधान पुराना सम्बन्ध रहा है। आप ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी नये शासन-विधान को अगले साल से कार्य में परिके प्रेसीडेंट रहे हैं। इस कारण भारत के शासन-सम्बन्धी रात करने के विचार से भारत सरकार ने भिन्न भिन्न प्रान्तो सुधारों की एक एक बात से परिचित हैं। १९२६ में श्राप के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्माण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। वोटरों की संख्या नये सवारी के अनसार पहले की भारत की कृषि की दशा की जाँच करने पाये थे और भारत अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ जाने के कारण नये निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण करना आवश्यक हो गया । फलतः भिन्न भिन्न प्रान्तों की सरकारों ने अपने अपने यहाँ विशेषज्ञों की ऐसी कमिटियाँ बना दी हैं जो निर्वाचन-क्षेत्रों के पुनर्निर्माण में मुस्तैदी के साथ दत्तचित्त हैं । सरकार ने उनसे सहयोग करने के लिए कुछ गैर सरकारी व्यक्तियों का भी ग्रामन्त्रित किया है, साथ ही उस सम्बन्ध में अपने निश्चय भी जनता के जानने के लिए पत्रों में छपवा दिये हैं। परन्तु राजनैतिक संस्थाये तथा लोकनेता सरकार की यह सारी कार्यवाही उदासीनभाव से देग्य रहे हैं, यद्याप उन निर्वाचन क्षेत्रों से अगले चुनाव में खड़े [भारत के भावी वायसराय होने से उनके उम्मेदवार विमुख नहीं होंगे। इस सिलसिले में मुसलमान लोग अधिक सतर्क दिखाई दे रहे में भी दो वर्ष तक उस सम्बन्ध में रह चुके हैं। कहने का हैं। कौंसिलों का चुनाव लड़ने के लिए वे अपना प्रान्तीय मतलब यह है कि आपको भारत की माली हालत का काफ़ी संगठन करने में लग भी गये हैं। परन्तु अन्य लोग अभी ज्ञान है और आप नये शासन-सुधारों से भी पूर्ण रूप से चुप हैं। कांग्रेस तो एक-दम चुप है। हाँ, नरमदल परिचित हैं । आपके निरीक्षण और तत्त्वावधान में शासन- कुछ कुनमुनाया है और उसके नेता कहने लगे हैं कि वे FILAJaani SATRAMAN २८४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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