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________________ संख्या ३] संसार की गति २८३ रूप से सज्जित है, साथ ही उसको इस काम से जो दो दोनों देशों के भूखण्ड अवस्थित हैं। इनमें प्राचीन राष्ट्र रोक सकते हैं उनमें एक उसके साथ है और दूसरा बैबिलनवालों का तो नाम ही नाम भर रह गया भी अकेले पड़ जाने के कारण कानूनी वाद-विवाद के है, पर असीरियावालों के वंशधर अभी तक अपने सिवा और कोई कार्रवाई करने को न तो तैयार है, न मूलस्थान में बस रहे हैं। परन्तु उनके दुर्भाग्य से अब उसके लिए तैयार हो सकेगा। यह सब सोच-समझ कर उन्हें अपने ही 'असीरिया' में रहने का स्थान नहीं ही मुसोलिनी अाज अबीसीनिया को पददलित करने को मिल रहा है। पिछले महायुद्ध में इन लोगों ने अँगरेज़ों उद्यत हुए हैं। की ओर से अपने स्वामियों के विरुद्ध इस अाशा से अस्त्र परन्तु यह प्रश्न यहीं समाप्त नहीं हो जाता । अबी- ग्रहण किया था कि उनके पक्ष की जीत होने पर सीनिया में ब्रिटेन और जापान के अपने अपने स्वार्थ हैं। उनकी पराधीनता की बेड़ियाँ कट जायँगी और उनको उस पर इटली का अधिकार हो जाने पर क्या उनके हितों स्वाधीनता प्राप्त होगी। परन्तु अरबों की महत्त्वाकांक्षा के की रक्षा हो सकेगी ? इसके सिवा इटली की भूमध्यसागर कारण उनका यह सुख-स्वप्न चरितार्थ नहीं होने पाया में गति-विधि अधिक दिखाई पड़ने लगेगी। और उस और उन्हें तुर्को ने, साथ ही अरबों ने भी बेतरह दशा में अँगरेज़ों के जलमार्ग के एक महत्त्वपूर्ण अंश सताया । तुर्कों ने तो उन्हें अपने देश से ही निकाल दिया। पर इटली का दबदबा दिन दिन बढ़ता जायगा। यह बात इधर जो ईराक की सीमा के भीतर बसते थे उन पर भी कहाँ तक रुचिकर होगी, यह भी एक जटिल बड़ा अत्याचार हा। अन्त में अगरेज़-सरकार ने यह प्रश्न है । परन्तु इन प्रश्नों की मीमांसा की ओर इटली निश्चय किया कि वे लोग अपने मूल-स्थान से ले का ध्यान नहीं है । उसे इस बात का ही ध्यान है जाकर अँगरेजी गायना में बसा दिये जायें। उनमें से कि उसके इस अन्यायपूर्ण कार्य का पास के अरब तथा ३,५०० लोग अभी तक मोसल में डेरे लगाये पड़े थे। तुर्की एवं ईरान की सरकारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इन्हें फ्रेंच-सरकार ने सीरिया में बसने को जगह दे दी मुसोलिनी को तो इस समय एक यही धुन है कि अबीसी- है। इनको वहाँ बसने में मदद देने के लिए इराक की निया पर अधिकार कर इटली का साम्राज्य निर्मित किया अरब-सरकार ने भी सवा लाख पौंड खर्च किये हैं। परन्तु जाय । इसके लिए विश्वव्यापी युद्ध ही क्यों न ठन जाय। अभी तो निकाले जाने को वहाँ २५ हज़ार और बैठे हैं । परन्तु जान पड़ता है कि उनका मनोरथ सिद्ध नहीं और इनको ईराक से हटाने का खर्च ८ लाख पौंड कूता हो सकेगा। इस समय जेनेवा में राष्ट्र-संघ की जो बैठक गया है। अतएव राष्ट्र-संघ की कमिटी ने चन्दा की अपील हो रही है उसमें ब्रिटेन के परराष्ट्र-सचिव सर सेमुअल होर की है। स्थान ठीक हो जाने और रुपया मिल जाने पर ये ने इस मामले के सम्बन्ध में जो शानदार भाषण किया है लोग भी अपनी मातृभूमि से निकाल बाहर किये जायेंगे। उससे तो यही प्रकट होता है कि ब्रिटेन इटली का अबी- इस प्रकार संसार की एक प्राचीन जाति के ये वंशधर सीनिया यों ही नहीं लेने देगा । देखना है कि योरप के अब अपनी उस भूमि से निकाल बाहर किये जायँगे जो राजनीतिज्ञ इस संकट से कैसे बच निकलते हैं। पूर्व-ऐतिहासिक काल से अब तक उनकी लीला-भूमि रही है। इस प्राचीन अल्पसंख्यक जाति के साथ जो यह असीरिया के मूल-निवासियों का दुर्भाग्य व्यवहार किया गया है उससे यह भी प्रकट होता है कि असीरिया और बैबिलन संसार के प्राचीनतम सभ्य वर्तमान काल की सभ्यता कितनी ऊँची स्थिति प्राप्त कर देशों में हैं। वर्तमान ईराक-राज्य के ही अन्तर्गत इन गई है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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