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________________ सख्या ३] अबीसीनिया २७१ [राजमहल के सामने अबीसीनिया के सैनिकों का जमाव] मुल्क होने के कारण सम्राट् की सेना नफे में रही। धीरे धीरे ज़माने ने पलटा खाया। योरप का अडोवा के निकट की पहाड़ी खाई में तीस हज़ार महायुद्ध आँधी की तरह आया और अपने साथ बड़े इटालियन खेत रहे। शेष को अंग-भंग करके अबी- बड़े सम्राटों, राष्ट्रों तथा प्रदेशों को समेटता हुआ सीनिया की सेना ने देश से बाहर भगा दिया। चला गया । इटली भी इस आँधी से न बच सका। अडोवा की हार से इटली में दुःख, भय व निराशा वहाँ भी अनेक उपद्रवों, हड़तालों तथा आन्दोलनों के के बादल छा गये। इटली की साम्राज्यलिप्सा कुछ बाद शासन-सूत्र मुसोलिनी के हाथ में आ गया। बरसों के लिए ठंडी पड़ गई। इसके बाद सन् १९०६ मुसोलिनी को सर्वप्रथम अपने देश की बेकारी का में इटली, फ्रांस व ब्रिटेन ने आपस में एक समझौता सामना करना पड़ा। बात यह है कि इटली छोटा-सा किया। इसके अनुसार तीनों ने अबीसीनिया की , देश है। उसका एक लाख दस हजार वर्ग मील रकबा स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाये रखने का वचन दिया। है, जिसका बहुत-सा हिस्सा पहाड़ तथा दलदल है। तब फ्रांस को ज़ीबूती बन्दरगाह से राजधानी अदिस- जीविका के साधन कम हैं, फिर भी आबादी बढ़ रही - अबाबा तक रेल-लाइन बनाने की इजाजत मिली। है । सन् १८७१ में देश की आबादी ढाई करोड़ के ताना झील से निकली हुई नील नदी का प्रवाह लगभग थी। सन् १९११ में वह बढ़ कर साढ़े तीन मिस्र के लिए आवश्यक समझा गया और उस पर करोड हो गई और अब सन १९३० में तो वह सवा प्रतिबन्ध न लगाने का अबीसीनिया ने वचन चार करोड़ से भी अधिक जा पहुंची है। इस दिया। वैसे सब बातों में अबीसीनिया की स्वतंत्रता आबादी की जीविका का अपने देश में यथैष्ट प्रबन्ध कायम रही। न होने से योरपीय महायुद्ध से पहले प्रतिवर्ष Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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