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________________ २७ सरस्वती [भाग ३६ की सुविधायें प्राप्त कर ली। पूर्व में इटली ने एरिट्रिया से सोमालीलेंड को रेल ले जाने के अधिकार प्राप्त कर लिये। यह रेलवे बोसीनिया के मध्य में से निकलती थी। इस समझौते में फ्रांस शरीक न था। इस रेल के बन जाने से फ्रांस की रेल-लाइन को जो जिबूती बन्दरगाह से राजधानी अदिसअबाबा को जाती है, हानि होने की संभावना थी। इसलिए फ्रांस ने अबीसीनिया की पीठ ठोंकी। अबीसीनिया ने ब्रिटिश-इटालियन समझौते के खिलाफ राष्ट्र संघ में अपील कर दी । जेनेवा में उपस्थित सब राष्ट्रों ने अबीसीनिया का साथ दिया । और इटली की अबीसीनिया को हड़पने की बात [एक गिर्जाघर के सामने पादरियों का नृत्य रह गई। लाखों बटालियन विदेशों को चले जाते थे। ये लोग सन् १९२५ के बाद सन् १९२८ में इटली व परदेश में जाकर उसी देश के निवासी हो जाते थे अबीसीनिया में पारस्परिक समझौता हो गया, लेकिन और अपनी राष्ट्रीयता तथा भाषा को खो बैठते थे। मुसालिनी की महत्त्वाकांक्षा का अन्त न हो पाया। सन् १९२५ में ऐसे प्रवासी इटालियनों की संख्या एक उसके नेतृत्व में इटली के युवक एक बृहत् साम्राज्य की करोड थी। साइनर मुसोलिनी ने सर्वप्रथम इटा- कल्पना कर रहे थे । इटली की बढ़ती हुई आबादी को लियनों का विदेश जाना बन्द कर दिया। इनको स्थान देने का भी सवाल था। उसकी नज़र रह रह बसाने के लिए इटली के दलदल साफ किये गये और कर अबीसीनिया के हरे-भरे ऊँचे पठार पर जाती थी। टिपोली, एरिटिया तथा सोमालीलेंड के उपनिवेशों उसने इसे ही हथियाने का फैसला किया। इसका में ज़मीनें मुफ्त दी गई। अकेले इटली में ६० लाख एकड़ नई जमीन खेती के लिए तैयार की गई। इटली के तीनों उपनिवेशों में भी जैतून, गन्ना तथा कपास की खेती को बड़े पैमाने में करने का प्रयत्न किया गया। किन्तु इसमें सफलता नहीं मिली, क्योंकि ये तीनों ऊसर हैं और इनकी आबोहवा गरम है। इटालियन किसान एरिट्रिया व ट्रिपोली में बसने के लिए भेजे जाते थे, लेकिन वे बीमार होकर घरों को लौट आते थे। मुसोलिनी को अपने प्रयत्न में असफलता पसन्द न थी। अन्ततो गत्वा मुसोलिनी की नज़र अबीसीनिया पर पड़ी। सन् १९२५ में ब्रिटेन व इटली ने एक पारस्परिक समझौते-द्वारा अबीसीनिया को बाँट लिया । पश्चिम में ताना झील के आस-पास ब्रिटेन ने मोटर की सड़क बनाने [अबीसीनिया के वीर योद्धा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar Umara. Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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