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________________ संख्या ३] इटली और अबीसीनिया २२५ राजदूत को वहाँ से हटाने से इनकार कर दिया है मुश्किल है। खैर, इटली को अपनी उत्तम युद्ध और यदि इटली के हवाई जहाज़ उस पर बम सामग्री का भरोसा है और उसका यह भरोसा गिरावेंगे तो इसकी ज़िम्मेदारी उसी पर होगी। सकारण है। परन्तु राजधानी चार घंटे में खाली की जा अबीसीनिया में मैन्चेस्टर का बहुत बड़ा व्यापार सकती है, क्योंकि घर सब मिट्टी के बने हैं और होता है और यही हाल जापान का भी है। जापान छतें लोहे की हैं। आस-पास गुफाओं का बाहुल्य है, की उत्तेजना और इंग्लैंड की शान्ति स्थापन की जिनमें प्राण-रक्षा की यथेष्ट सुविधा है । इस तरह चेष्टा का यही रहस्य है। युद्ध के समय में सब प्रकार इटली को हवाई लड़ाई से बहुत लाभ न होगा। के व्यापार बन्द हो जायेंगे, इससे इंग्लेंड और भूमि पर भी उसे दूर से मार करनेवाली तोपों और जापान की हानि होगी। यदि इटली वास्तव में युद्ध राइफलों पर अवलम्बित होना पड़ेगा। करीब की की घोषणा करता है तो इतिहास में अत्याचार का मार में भयंकर अबीसीनियों से उसको पार पाना यह अत्यन्त भयानक उदाहरण होगा। अभिलाषा लेखक, श्रीयुत रुस्तम सैटिन मानव-हिय की दुर्बलता, सुख घड़ियों की अभिलाषा, यह अस्फुट-सी अभिलाषा । है अपूर्णता जीवन की। इससे ही विकसित होती, यह अस्फुट मानव-भाषा, वह मृगतृष्णा-सी आशा ॥ है दुर्बलता इस मन की। यह अभाव के पलनों की, अभिलाषा चिन्ता अभिनव, पोषित अभिलाषा मेरी। ये ही बस जग में होता। जग के इस स्वार्थ-सदन में, जब बीहड़ कौतुक वन में, अब सुनती आशा लोरी॥ यह लोभी मानव खोता ॥ अभिलाषा, आशा, उलझन, अभिलाषा तिमिर उदधि में, जीवन को उलझा देते। माया की नैया लेकर। इस निर्बल-से मानस को, आलोक-नगर जाऊँगा, पथ-विचलित-सा कर देते ॥ जुगनू की आभा लेकर ।। AL Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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