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________________ संख्या ३] इटली और अबीसीनिया २२३ [अबीसीनिया के सम्राट हेल सिलासी] [अबीसीनिया की सम्राज्ञी] जेरुसलम में भेंट करने को आई। वह बहुत बड़े लाव- योग्य व्यक्ति है । वह काला नेपोलियन के नाम से । लश्कर के साथ आई थी और अपने साथ ऊँटों पर प्रसिद्ध है। मसाले, सोना-चाँदी और जवाहरात लाद कर लाई ब्रिटेन की सद्भावना से इटली का १८८२ ईसवी थी। यह सब उसने इसराइल के महान और बुद्धि- में अफ्रीका-महाद्वीप में प्रवेश हुआ। असाब की मान् राजा को उपहार-स्वरूप भेंट किया। यह खाड़ी में लाल सागर के किनारे पर उसे कुछ प्रदेश किंवदन्ती है कि दोनों में प्रेम हो गया था । एक मिला। इस सिलसिले में उसे दक्षिण की ओर यारपीय अन्वेषक का यह दावा है कि उसने उन बाबुलमंदब तक और बढ़ने की इजाजत मिली। गुफाओं का पता लगा लिया है जिनमें शेबा को वह १८८५ में उसने मसोवा पर अधिकार किया। दो वर्ष अपार धन मिला था। अबीसीनिया का वर्तमान बाद उसने हिंद-महासागर के तटवर्ती एक पट्टी पर सम्राट् हेल सिलासी जो सर्व-साधारण में रास अपना आधिपत्य स्थापित किया और उसका नाम तफारी के नाम से प्रसिद्ध है, अपने को रानी इटालियन सोमालीलैंड रक्खा । पर ये सब बड़े शेबा का वंशज बताता है। वह अत्यन्त सुन्दर उजाड़ देश हैं, इसलिए गत चालीस वर्षों से इटली युवा पुरुष है। क़द में वह छोटा है, परन्तु उसका अबीसीनिया पर दाँत गड़ाये बैठा है। कहा जाता है व्यक्तित्व मर्यादापूर्ण है और वह सादी पर आकर्षक कि अबीसीनिया में खनिज पदार्थो का बाहुल्य है पोशाक धारण करता है। वह सुशिक्षित है, धारा- और अन्य उपजों की भी कमी नहीं है। परन्तु इस प्रवाह अँगरेज़ी बोलता है और योरप की अन्य बात को कोई निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता, क्योंकि भाषायें भी जानता है । वह कठिन परिश्रम करता है, युथोपिया में कभी किसी योरपीय को किसी प्रकार सबसे मिलता-जुलता है और अत्यन्त बुद्धिमान तथा की रियायत नहीं मिली। १८८९ ईसवी में इटली
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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