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________________ इटली और अबीसीनिया इटली सभ्य है क्योंकि वह श्रासमान पर से बम बरसा सकता है । अबीसीनिया असभ्य है क्योंकि अभी वह सिर्फ़ बरछा और तलवार से लड़ सकता है । इटली के पास सब प्रकार के साधन हैं । अबीसीनिया के पास केवल साहस । परीक्षा का अवसर आने पर दोनों कहाँ तक जा सकते हैं यही बात श्रीयुत नगेन्द्रनाथ गुप्त ने इस लेख में बड़े सुन्दर ढङ्ग से बताई है। लेखक, श्रीयुत नगेन्द्रनाथ गुप्त १४-१८ के विश्व-व्यापी मार्ग में बाधा भी उपस्थित करने न जायँगी। अभी महायुद्ध को हुए अभी १८ तक तो लीग में यह साहस नहीं आया कि वह इटली वर्ष भी नहीं हुए कि संसार को युद्ध की तय्यारी करने से रुकने के लिए कहे। १६ की शान्ति को भङ्ग करने सच पूछिए तो इटली को अबीसीनिया से कोई के लिए एक दूसरा युद्ध आ वास्तविक शिकायत नहीं है। उसका हाल कहानी के न पहुँचना चाहता है। कुछ उस भेड़िए का-सा है जो कोई न कोई अपराध लगा 1 महीने पूर्व जर्मनी के साथ कर भेड़ के बच्चे को खाना चाहता था। वह एक नया युद्ध अनिवार्य प्रतीत हो रहा था और 'जिसकी लाठी उसकी भैंस' की कहावत को चरितार्थ युद्ध के बादल उमड़ रहे थे। इंग्लेंड, फ्रांस और करना चाहता है। सिगनार मुसोलिनी रोम के इटली जर्मनी को भला-बुरा कह रहे थे। पर यह प्राचीन गौरव का स्वप्न देख रहे हैं और सीज़रों की प्रसन्नता की बात है कि हर हिटलर की बुद्धिमानी महत्त्वाकांक्षा को प्राप्त करना चाहते हैं। इस उद्देश और दृढ़ता और ब्रिटेन की सद्भावना के कारण यह की पूर्ति के लिए एक साम्राज्य का होना आवश्यक अवसर टल गया। परन्तु अब जान पड़ता है, इटली है। योरप के प्रायः सभी देशों का दूसरे महाद्वीपों में अबीसीनिया के विरुद्ध विना युद्ध की घोषणा किये कुछ न कुछ भू-भाग है। केवल इटली ही एक ऐसा न रहेगा और इसी भय से युद्ध की खुल्लम-खुल्ला देश है जिसके अधिकार में योरप के बाहर बहुत तैयारियाँ भी हो रही हैं। 'लीग अाफ़ नेशन्स' की कम प्रदेश हैं। विदेश में उसका अधिकार अफ्रीका स्थापना स्पष्टतया इस उद्देश से हुई थी कि संसार के पूर्वी किनारे पर सिर्फ इरीट्रिया और इटालियन से युद्ध का अन्त हो जाय और जो बात युद्ध-द्वारा सोमालीलैंड में है। ये मरुप्रदेश हैं और इटली को तय करने की है वह पंचायत-द्वारा तय की जाय। इनसे कुछ अर्थ-लाभ नहीं होता। बहुत समय से इटली लीग के खास सदस्यों में से एक है। अबीसी- उसकी निगाह अबीसीनिया के 'हिंटरलैंड' पर थी निया भी लीग का सदस्य है, तो भी इटली उस पर और अब वह अपने स्वप्न को चरितार्थ करने पर आक्रमण करने का दुराग्रह कर रहा है। लीग की उद्यत है। कौंसिल इस प्रयत्न में है कि यह वैर-भाव स्थायी रूप इटली और प्राचीन रोम का इतिहास सबको न धारण करे और इसी उद्देश से उसकी कई बैठकें विदित है । परन्तु अबीसीनिया का ज्ञान संसार को भी हो चुकी हैं। ब्रिटेन विशेष रूप से अपनी शक्ति उतना नहीं है। यह युथोपिया का अन्तिम साम्राज्य, भर यह प्रयत्न कर रहा है कि युद्ध न हो। परन्तु यदि और शेबा की रानी का राज्य है। शेबा का जिक्र इटली अबीसीनिया पर बिना आक्रमण किये न बाइबिल में दो बार आया है। कहा गया है कि रानी मानेगा तो योरप की कोई शक्ति या शक्तियाँ उसके ने जब सुलेमान की प्रसिद्धि सुनी तब वह उससे २२२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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