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________________ सरस्वती [भाग३६ कर-धर नहीं पा रहा है। आज भी चीन में अस्सी या होमरूल का प्रचलन हो जायगा। इस प्रकार उस हज़ार साम्यवादियों की शक्तिशाली सेना किाँग-सी द्वीप-पुञ्ज को स्वाधीनता-प्रदान करने का श्रीगणेश हो और फूकेन के प्रान्तों में डटी हुई सरकारी सेनाओं गया और जब तक वह पूर्णरूप से स्वतन्त्र नहीं कर दिया से युद्ध कर रही है । इस संकट में वह पड़ा ही हुअा था कि जाता तब तक संयुक्त-राज्य उसकी रक्षा एवं वैदेशिक इसी समय उसे जापान ने फिर एक बार अा दबाया सम्बन्धों की देख-भाल खुद करेगा। है। उसने इस बात का अन्तिम पत्र दे दिया है कि आत्मशासन-सम्बन्धी जिस व्यवस्था-पत्र पर रूजवेल्ट उत्तरी चीन के चिहली-प्रान्त को चीनी सेनायें खाली कर साहब ने हस्ताक्षर किया है उसे फ़िलीपाइन के निवासियों जायँ और यहाँ के अधिकारियों को वापस बुलाकर उनके के मनोनीत सदस्यों ने ही तैयार किया है। इसके लिए स्थान में ऐसे लोगों की नियुक्ति की जाय जो जापान की उनकी एक सभा बैठी थी और उन्होंने परस्पर वाद-विवाद निगरानी में उस भूभाग की देख-रेख करें। चीन में बल करके श्रात्मशासन-सम्बन्धी अपनी मांगों को क्रमपूर्वक नहीं है कि वह इस अन्तिम पत्र को अस्वीकार कर सके। लिपिबद्ध किया। इस महत्त्वपूर्ण शासन-विधान की इस बात की आशा भी नहीं है कि जापान के विरुद्ध स्वाधीन भावना का पता केवल इस बात से ही भले प्रकार उसे किसी पाश्चात्य राष्ट्र से सैनिक सहायता मिलेगी। अतएव लग जाता है कि उसमें अँगरेज़ी-भाषा के पठन-पाठन उसके लिए दो ही रास्ते हैं । या तो वह बोल्शेविकी लोगों की व्यवस्था नहीं की गई है। वहाँ के स्कूलों में इस से मेल कर सोवियट रूस से परस्पर की सहायता की सन्धि समय शिक्षा का माध्यम अँगरेज़ी ही है, परन्तु वहाँवालों कर ले या चुपचाप जापान की बात मान ले। ने इस शासन-विधान द्वारा अँगरेज़ी को शिक्षा का माध्यम चीन की राष्ट्रीय सरकार कदाचित् जापान से मेल-जोल ही बनाये रखने से इनकार कर दिया है। बनाये रखना चाहती है । अतएव उसने कुछ हुजत कर इसमें सन्देह नहीं कि इस शासन-विधान से फ़िलीचुकने के बाद जापान की माँगों को स्वीकार कर लिया है। पाइनवालों को आत्मशासन के सारे अधिकार प्रदान इससे यही जान पड़ता है,कि कुछ दिनों में समग्र उत्तरी कर दिये गये हैं और इसके वहाँ दृढ़ता से चल निकलने चीन भी मंचूरिया की भाँति जापान की संरक्षा में श्रा के बाद संयुक्त राज्यों की सरकार रक्षा और वैदेशिक नीति जायगा । के सञ्चालन का उत्तरदायित्व भी उन्हें उपयुक्त समय उधर रूस चीनी तुर्किस्तान को हड़पे ही लिये जा पर सौपकर पूर्ण रूप से उन्हें स्वतन्त्र कर देगी। संयुक्तरहा है, इधर जापान भी अकस्मात् और सो भी एक राज्य की प्रजातंत्र-सरकार का यह सत्कार्य सर्वथा उसके मामूली बात का बहाना करके चीन के उत्तरी भाग को अनुरूप हुअा है और इसके सफलता प्राप्त करने पर यह भी हथिया लेने का यत्न कर रहा है। जापान और रूस दूसरों के लिए श्रादर्श का कार्य करेगा। इस सम्बन्ध में दोनों जानते हैं कि चीन की रक्षा के लिए न तो ब्रिटेन फ़िलीपाइन के निवासी भी प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने और न अमरीका के संयुक्त राज्य ही अस्त्र ग्रहण करेंगे। अपनी स्वाधीन-भावना का परित्याग नहीं किया और इस प्रकार संसार में जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत संयुक्त राज्यों के गत ४० वर्ष के शासन काल में वे उसके अाज. भी सोलहो पाने चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। लिए दृढ़ता के साथ आन्दोलन करते पाये हैं। यही कारण है कि आज संयुक्त राज्यों के अधिकारी तक उन्हें ४-फिलीपाइन द्वीपों की स्वाधीनता समझदार राजनीतिज्ञ कहकर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं फ़िलीपाइन द्वीप-समूह को जो नया शासन-विधान और उन्हीं की निश्चित की हुई माँगों के अनुसार उन्हें दिया जा रहा है उस पर प्रेसीडेंट रूजवेल्ट ने हस्ताक्षर कर शासनाधिकार दे रहे हैं। दिया है। इसके अनुसार अगले नवम्बर से वहाँ आत्मशासन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara. Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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