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संख्या १]
संसार की गति
होता जाता है। पिछली सन्धियाँ तथा समझौते उठाकर करते देखकर अवश्य ही भयभीत होगा। इन सबको एक ओर रख दिये गये हैं और सभी राष्ट्र अब नये सिरे दृष्टि में रखकर विचार करने से यही प्रकट होता है कि इस से गुट बनाने में लग गये हैं। रही जङ्गी तैयारी सो प्रदेश के कारण कहीं यहाँ भयंकर युद्ध न छिड़ जाय । उसका तो इस समय दौरदौरा ही है। ऐसी दशा में यदि चीन के इस प्रदेश का रकबा तो छः लाख वर्गमील है, विशेषज्ञ यह अन्दाज़ लगाते हैं कि योरप के आगे भयङ्कर पर श्राबादी ५० लाख ही है। यहाँ खनिज द्रव्यों की समस्या उपस्थित है और महायुद्ध की पुनरावृत्ति का समय भी बहुतायत है। यहाँ मुसलमानों की ही आबादी है। निकट प्राता जा रहा है तो यह सर्वथा स्वाभाविक ही ये लोग गत दस वर्ष से विद्रोह का झंडा उठाये हुए हैं। माना जायगा। तो भी आशावादी निराश नहीं हैं और १६३१ से तो यहाँ से चीनी सत्ता भी जाती रही है। वे यही कहते जा रहे हैं कि ऐसी आशङ्का की गुञ्जाइश परन्तु चीनी अधिकारी परास्त हो होकर भी अभी तक जमे ही नहीं है । भगवान् करे, ऐसा ही हो।
हुए हैं।
कहते हैं कि वहाँ के हामी नामक मुसलमान शासक के २-सिनकियांग की दयनीय दशा उत्तराधिकारी को चीन सरकार ने नहीं स्वीकार किया। इस चीनी तुर्किस्तान या सिनकियांग ही अब एक ऐसा पर चीन के कंसू-प्रदेश के मुसलमान जनरल ने सिनकियांग प्रान्त रह गया है जो अभी चीन-साम्राज्य के अन्तर्गत पर चढ़ाई कर दी। उसने इन दो प्रान्तों को मिलाकर माना जाता है । उसके साम्राज्य के अन्य प्रदेश-तिब्बत, एक स्वाधीन मुसलमानी राज्य स्थापित करने का निश्चय मंगोलिया और मंचूरिया-अब उसके अधिकार में नहीं हैं। किया। सिनकियांग के चीनी गवर्नर ने रूसियों (ह्वाइट तिब्बत तो बहुत पहले से ही स्वतन्त्र है। सोवियट रूस रशियन) की एक सेना का संगठन कर कंसूवालों को मार की संरक्षा में मंगोलिता भी एक ज़माने से स्वतन्त्रता का भगाया। परन्तु बाद को उन्हीं रूसियों ने उस चाना उपभोग कर रहा है। मंचूरिया को अभी हाल में जापान गवर्नर को भी यहाँ से खदेड़ बाहर किया। इस पर दबा बैठा है। एक यही सिनकियांग उसके अधिकार १६३३ में कंसू के उस मुसलमान जनरल ने सिनकियांग में रह गया था, सो वहाँ भी सालों से विद्रोह मचा हुआ है, पर फिर आक्रमण किया । इसका वारण करने के लिए और अब तो जान पड़ता है कि मंगोलिया की भाँति वह भी नये चीनी गवर्नर ने रूस से उन चीनी सैनिकों को प्राप्त रूस की संरक्षा में स्वतन्त्रता का उपभोग करना शुरू किया जो मंचूरिया के युद्ध में जापान से हारकर कर देगा।
साइबेरिया भाग गये थे। और जब उनसे पूरा न पड़ा तब चीन का यह प्रान्त एशिया के मध्य में स्थित है और उसने रूस-सरकार से सैनिक सहायता प्राप्त करके उक्त मध्य-एशिया का सारा भू-भाग रूस के अधिकार में है। मुसलमान जनरल को परास्त किया। इस प्रकार रूस का अतएव यदि सिनकियांग को रूस अपनी दृष्टि में किये उस प्रदेश पर अब अधिक प्रभाव स्थापित हो गया है। रहे तो यह उसके लिए स्वाभाविक ही है। इधर कुछ और यह बात चीन, जापान तथा भारत के लिए विशेष समय से रूसियों की गतिविधि भी चीन के इस अशान्त चिन्ता का कारण है। तथापि इतना स्पष्ट है कि चीन का प्रदेश में अधिक बढ़ती गई है, जिससे वहाँ के व्यापार को यह एक प्रान्त भी उसके हाथ से जाता हुआ दिखाई दे भी रूस ने अपने हाथ में कर लिया है । इसका मंचूरिया रहा है । तथा भारत से भी व्यापार-सम्बन्ध है। अतएव रूस की उक्त गतिविधि से इन देशों का चौकन्ना होना सर्वथा
३–चीन की दुर्दशा स्वाभाविक है । मंचूरिया का ताज़ा दृष्टान्त सामने रहने चीन की दुरवस्था की कोई सीमा नहीं है। से चीन भी अपने प्रदेश में रूस को इस प्रकार प्रवेश बोल्शेविकी चीनियों के गृह-युद्ध के कारण वह कुछ
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