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________________ तत्कालीन सभ्यता और परिस्थिति। [१४५ महिलाओं का आदर और प्रतिष्ठा भी उस समय काफी था। महिलाओं की महिमा पुरुष स्त्रियोंको अपनो मङ्गिनो समझते __ और प्रतिष्ठा । थे और उनके साथ बड़े सौजन्य और प्रेमपूर्वक व्यवहार करते थे । परदेका रिवाज तब नहीं था। स्त्रियां बाहर निकलतीं और शास्त्रार्थ तक करती थीं । राजा सिद्धार्थ जिस समय राजदरबारमें थे, उस समय रानी त्रिशला वहां पहुंची थीं। रामाने बड़े मानसे उनको अपने पाप राजसिंहासन पर बैठाया था। और अन्य राजकार्यको स्थगित करके उनके भागमनका कारण जानना चाहा था। पुरुष स्त्रियोंसे उचित परामर्श और मंत्रणा भी करते थे। जम्बृकुमार जिस समय जैन दीक्षा धारण करनेको उद्यत हुये थे, उस समय उनकी नवविवाहिता स्त्रियोंने खूब ही युक्तिपूर्ण शब्दों द्वारा उन्हें घरमें रहकर विषयभोग भोगने के लिये उत्साहित किया था। जम्बूकुमारने भी उनके परामर्शको बड़े गौरसे सुना था और उनको सर्वथा संतुष्ट करके वह योगी हुये थे। उनके साथ उनकी पत्नियां भी साध्वी होगई थीं। सचमुच उस समय स्त्रियों को भी धर्मागधन करने की पूर्ण स्वतंत्रता थी। गृहस्थ दशामें वे भगवानका पूजन अर्चन और दान अथवा सामयिक आदि धर्म कार्य करती थीं। साधु संगतिका लाभ उठाती थीं। मथुगके महदास सेठने अपनी स्त्रियों सहित रात्रि जागरण करके भगवानका पूजन-मनन किया था। स्त्रियों की और उनकी मो ज्ञानचर्चा उस समय हुई थी, उसको सुनकर मथुराके राना एवं चमन चोर भी प्रतिबुर होगये थे। सचमुच उस समयकी खियां १-३० पु. पृ. ६०५-६०६ । २-१० पु. पृ. ..२-७०४ । १-तो. १. ५-10। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035243
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1932
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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