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रेवती-दान-समालोचना
पना आदि स्वकीय शास्त्रों के तथा सुश्रुत आदि पर शास्त्रों के प्रमितिजनक वाक्य-प्रमाण उद्धृत करके दिखलाये जाते हैं ॥ ३४ ॥
कपोत अर्थ का निरूपण
अमर कोष में 'कपोत' और 'पारावत' शब्द पर्याय वाची हैं और पारावत नाम का एक वृक्ष होता है अतः कपोत का भी वह अर्थ-वृक्षार्थ-होना चाहिए ॥ ३५ ॥ ___ 'दुवे कवोयसरीरा' इस प्रथम वाक्य में कोय (प्राकृत)-कपोत (संस्कृत)शब्द प्रयुक्त हुआ है और कपोत शब्द 'पारावत' शब्द का पर्याय वाची है, यह बात अमर कोष के द्वितीय काण्ड में कही है। कहा भी है
"पारावत, कलरव और कपोत, ये कबूतर के (पंक्ति १०१६) पर्यायवाची शब्द हैं ।" जब दोनों शब्द पर्यायवाची हैं तो पारावत शब्द का जो अर्थ है वह कपोत शब्द का भी होना चाहिए। यदि कोई कहे कि पारावत-शब्द तो पक्षी ( कबूतर) का वाचक प्रसिद्ध है तो यह भी कह सकते हैं कि पारावत शब्द वृक्ष का भी वाचक है : सुश्रुत संहिता पृष्ठ ३३८, फल प्रकरण में कहा है-पारावत, मधुर, रुचिकारक तथा अग्निवर्धक और वात को दूर करता है।'
सुश्रत में पारावत वृक्ष का कई जगह उल्लेख है अतः पारावत वृक्ष सिद्ध है। अतएव कपोत शब्द का अर्थ वृक्ष होता है, यह बात भी सिद्ध हो गई क्योंकि यह दोनों शब्द पर्यायवाचक हैं ॥ ३५ ॥
कपोत शब्द का दूसरा अर्थ
वैद्यक शब्दसिन्धु कोष में कपोत शब्द से पारीश नामक वृक्ष कहा गया है और वहीं पारीश शब्द से प्लक्ष वृक्ष का अर्थ लिया गया है ।। ३६ ॥
वैवक-शब्दसिन्धु नामक कोष पृ० १९३ पर कपोत शब्द से पारीश नामक पेड़ का अर्थ लिया गया है और इसी ग्रंथ के पृ० ६.१ पर पारीश Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com