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________________ ज्वर हो गया, दस्त जलन होने लगी ॥ रेवती - दान-समालोचना में रक्त गिरने लगा तथा अत्यन्त असह्य ३॥ तेजोलेश्या पास तक आई इस कारण महावीर के शरीर में पित्त ज्वर हुआ, मल में रक्त आने लगा और तेज़ जलन होने लगी । इस प्रकार तीन प्रकार का रोग उन्हें हो गया । यह तीनों ही प्रकार का रोग असा था । भगवती सूत्र में कहा है - तब श्रमण भगवान् महावीर के शरीर में बहुत से रोग और आतंक प्रगट हो गए । ये तीव्र और असह्य थे । उनका शरीर पित्त ज्वर से व्याप्त हो गया, जलन होने लगी और खूनी दस्त लगने लगे ॥ ३॥ जनता- प्रवाद – अफवाह इस बीमारी के कारण लोगों में जो अफवाह उड़ी, उसे बताते हैं गोशाला के द्वारा महावीर परास्त कर दिये गये हैं । पित्त - ज्वर आदि के कारण छद्मस्थ महावीर छह महीने के भीतर ही भीतर मृत्यु को प्राप्त हो जाएँगे । इस प्रकार की अफवाह लोगों में उड़ने लगी ॥ ४ ॥ लोक में ऐसी बात फैल गई कि गोशाला और महावीर स्वामी के विवाद में गोशाला विजयी हुआ और महावीर हार गए हैं। गोशाला के तप के प्रभाव से पराभव पाने वाले श्रीमहावीर स्वामी का शरीर पित्त ज्वर से आक्रान्त हो गया है और दाह होने से वे छद्मस्थ ही रह कर छह माह में काल-धर्म - मृत्यु — को प्राप्त होंगे। मालूम होता है, गोशाला का कथन-पक्ष सच्चा होगा । इस प्रकार की बातें लोक में फैलने लगीं कहा भी है चारों वर्ण कहते हैं कि मंखलिपुत्र गोशालक के तपस्तेज से पराभव पाये हुवे श्रमण भगवंत महावीर छः महीने के अंदर पित्त ज्वरादि रोग से छद्मस्थ अवस्था में ही काल धर्म पावेंगे ॥ ४ ॥ न Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 1 www.umaragyanbhandar.com
SR No.035225
Book TitleRevati Dan Samalochna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Vir Mandal
Publication Year1935
Total Pages112
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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