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________________ पर प्रबन्धावलो (नीचे दाहिनी तरफ बंगला में) (१) ॐ श्री महाराजा गन्धर्वसिंह बहादुर रत्ने (२) सरेर स्त्रि स्थाने बाग हाते बाइश बीघा आर (३) काठा इह पश्चिमे गंगार आलि उत्तरे देवि पु (४) र पूर्व दक्षिण बाहादुरपुर जर खरिद लइया (५) सकान्दा सोलषसाचा सने पैसाख मापेर अ (६) क्षय त्रितिया दिवशे हरिमंदिर ओ कूप दिला। (नीचे बाई तरफ फारसी में ) . (१) राजा गन्धर्वसिंह बहादुर घारा करदन्द जर खरीद शुर नमूद अन्दर हवेली चाह शीरीं अफ़जोद । (२) मे गिरफ्त अज निज्द मुसम्मात ईसरी देव्या बोबुद __ भहलिये रतनेसर जुन्नारदार मुतब्धफ वजूद। (३) बिस्त दो बीघा मवाज़ो हस्त बिस्व लाखिराज, हद्द मग़रिब भौज परियाये मौज दर मौज मिजाज । ( ४ ) पूर बहादुर हर दो सूद मशरिक वो जुनूव दारद ज़मीन, ता शुमाल हद्द देवीपुर मुकरर शुद । अमोन । (५) अज़ तवारीख नहुम शबाल दह वो शश् सन् जुलूस यक हज़ार वो यक सद वो बेहल व शश् हिजरी मनुश। (६) मज़ खत रामकृष्ण। भागरी प्रचारिणी पत्रिका' (नवीन संस्करण, सं० १९८३ भाग. संख्या १ पृष्ठ १-५) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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