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________________ * २० * * प्रय धावली. (१) बनारसी दाल (२) कायाग देव ( ३ ) मालदेर ( ४ ) हे विजय (५) रूपचन्द (६) रावल (७) कुंवरपाल (८) जिन दास (१) हेमराज। इस शताब्दी के और भी उल्लेख योग्य कवियों के नाम और कुछ उपलब्ध ग्रन्थ इस प्रकार है कवि ऋषभदासजी ने कई अच्छे अच्छे ऐतिहासिक रास रचे हैं जनमें सं० १६६२ का 'राजा श्रेणिक रास' और सं० १६७० का 'कुमारपाल रास' और 'रोहिणीय रास' प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। उपाध्याय समय सुन्दरजी भी श्वेताम्बर साधुओं में एक श्रेष्ठ कवि हो गये हैं। इनकी रचना बहुत सरल है, छोटे बड़े सैंकड़ों प्राथ इनके धनाए हुर मिलते हैं। उनमें से शत्रुजय रास, शांव प्रद्युम्न रास, प्रियमेलक चौपाई, पोषह विधि चौपाई, जिनदत्तर्षि कथा, प्रत्येकबुद्ध चौपाई, करकंडू चौपाई, नल दमयन्ती चौपाई, घल्कल वीरी चौपाई आदि विशेष प्रचलित है। रास चरित्र चौपाई आदि बड़े प्रन्थों के सिवा श्रावकों के प्रतिक्रमण के समय पाठ योग्य धर्म नीति चरित्रादि पर इनके रचे हुए छोटे छोटे बहुत ग्रन्थ हैं। * ये बड़े भावुक कवि हो गये हैं। इनकी कविता का एक सुन्दर उदाहरण देखिये। करम भरम जग-तिमिर-हरन खग, उरग-लखन-पग शिव-मग दरसि । निरखत नयन भविक जल वरषत, हरषत अमित भविक-जन सरसि ॥ मदन-कदन-जित परम-धरम-हित, सुमिरत भगत भगत सब डरसि। सजल-जलद-तन मुकुट-सपत-फन, कमठ-दलन जिन नमत बमरसि ॥१॥ समयसार नाटक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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