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________________ * प्रबन्धावली* (१६) " १५७३, यशोधर रास-लावण्यरत्न कृत (१७) " १५७६, चंपकमाला-सौभाग्यसागर शिष्य कृत " १५८३, धनसार पंचशाली रास-लाभमंडन कृत (१६) " १५८४, कुलध्वजकुमार चौपाई-धर्मसुरेन्द्र कृत १५८८, आत्मराजा रास-सहज सुन्दर कृत " १५६०, इच्छापरिणाम चौपाई-भावसागर कृत (२२) " १५६४, कृतकर्म कुमार चौपाई (२३) " " तेतली पुत्र गस-कवियण कृत कलकत्ता गवर्नमेंट सस्कृत कालेज लाइब्रेरी के हस्तलिखित जैन प्रन्थों की सूची में उक्त शताब्दी के कई भाषा ग्रन्थ हैं। उनमें से कुछ अन्थों का विवरण यहां दिया जाता है। (१)सं० १५८५, पण्डित धर्मदास गणि रचित 'उपदेशमाला' प्रन्य का बालबोध, यह गद्य है। (२) सं० १५५०, रासचन्द्र सूरि कृत 'मुनिपति राजर्षि चरित।" इसके अन्त का पद है संवत् पनर पचासो जाणि वदि वैसाख मास मन आणि । दिन सप्तमी रचिउ रविवार भणइ सुणइ तिह हर्ष अपार ॥ (३) सं. १५६२, में मुनि आनन्द का रचा हुआ 'विक्रम पापर रित'। इनके सिवा उस समय के उल्लेख योग्य कुछ ग्रन्थ मेरे संग्रह में है, जैसे (१) पण्डित लावण्यसमय गणि कृत सं० १५६८ का विमल मन्त्री रास' और (२) सं० १५७५ का कर 'संवाद रास' हैं। (३)सं० १५७२ का कवि सहन सुन्दर कृत 'गुणरत्नाकर छंद है। इसके प्रारम्भ की कविता इस प्रकार हैप्रारंभ-शशिकर निकर समज्ज्वल मराल मारुह्य सरस्वती देवी। विचरति कविजन हद्रये सदये संसार भय हरणी ।। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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