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* प्रबन्धावली
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क्षेत्र में समय को सर्वश्रेष्ठ स्थान दें और इसी बलवान पुरुष की छाया में रहते हुये कर्मक्षेत्र में अग्रसर होकर अपने धर्म, समाज और वंश का मुखोज्ज्वल करें ।
देखिये ! जिन मुसलमानों के भाव परदे के विषय में इतने कट्टर थे, यह समय की ही खूबी है कि उनलोगों के भी विवारों में आज परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं। यहां तक कि आफगानिस्तान के अमीर अमानुल्लाह भी इस प्रथा के घोर विरोधी हैं। इसी प्रकार और २ त्रिषयों में भी अपना विचार समयानुकूल कर लेना चाहिये ।
पाठक स्थिरचित्त से किसी भी ओर ध्यान देंगे तो समय का प्राधान्य ही दृष्टि- गोचर होगा । आज यद्यपि आपका प्राप्य अक्षरशः सत्य है तौभी राजद्वार में निर्दिष्ट समय के उपरान्त उपस्थित होने से आपको कुछ भी फल न मिलेगा। अवसर से नूकने पर केवल पश्चाताप ही रह जाता है । गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी समय के ऊपर कैसी अच्छी शिक्षाप्रद कविता लिखी है 'का घरथा जब कृषी सुखाने, समय चूक पुनि का पछिताने' ।
अतः नवयुवकों से मेरा हार्दिक अनुरोध है कि वे किसी प्रकार आलस्य में अथवा प्रमाद में डूब कर समय को नष्ट न करें, अवसर हाथ से न जाने दें तथा उसकी उपेक्षा न करें ।
'ओसवाल नवयुवक' - युवकांडू वर्ष २, संख्या १ ( अप्रैल १९२९ )
पृ० ३६.३७
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