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________________ -प्रबन्धावली. • १२१ . तीर्थकर भगवान् महावीर के पूर्व भगवान् पार्श्वनाथ द्वारा प्रणोदित चतुर्याम धर्म प्रचलिन था। ___यही चतुर्याम धर्म जैन धर्मका मूल तत्व है और भगवान् महावीर के माता पिता भी इसी अहिंसादि चतुर्याम धर्मके अनुयायी थे। पश्चात् भगवान् महावीर ने पञ्चयाम धर्म का प्रचार किया। यद्यपि प्रायः ३००० वर्ष बीत गये तो भी भगवान् पार्श्वनाथ के व्यक्तित्व की स्मृति आज भी प्रत्येक जैन के हृदय पट में साहित्य, इतिहास और भाम्कर में अक्षुण्ण रूप से वर्तमान है। श्वेताम्बर मनावलम्बियों के प्रसिद्ध कल्पसूत्र के प्रथम अंश के प्रारम्भ में जो तीर्थकों की जीवनी दी गई है, उसमें भगवान पार्श्वनाथ की केवल संक्षिप्त जीवनीमात्र है। परन्तु प्राकृत और संस्कृत भाषाओं में लिखी हुई उनको अनेक विस्तृत जीवनी मिलती हैं। उनमें से नीचे लिखी हुई कई एक जीवनियां विशेष उल्लेखनीय है : (१) वि० सं० ११३६ पद्मसुन्दर गणि कृत पाश्वनाथचरित्र (२) , , ११६५ देवभद्र सूरि ,, , (सं० प्रा.) (३) ,. ., १२२० हेमचन्द्राचार्य , ( त्रिविष्ठ शलाका पुरुष चरित्र नवम पर्ष) (४) ,, ,, १२७७ माणिकचन्द्र कृत पार्श्वनाथ चरित्र (संस्मत) (५) , . १४१२ भावदेव सूरि ., , , [ डा. ब्लूम फिल्ड इसका भनुवाद अंग्रेजी में किये है। (६) , , १६३२ हेम विजयगणि कृत पार्श्वनाथ चरित्र (सं.) (.) , , १६५४ उदयवीर गणि कृत पार्श्वनाथ चरित्र (सं.) (८) .. , विजयचन्द्र कृत पार्श्वनाथ बरित्र (संस्कृत) (१) , , सर्वानन्द , , , , दिगम्बर सम्प्रदाय में भी पार्श्वनाथ स्वामो के कई जीवन परिष मिलते है। उनमें से वादिराज कृत पार्श्वनाथ चरित्र माणिक्यना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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