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________________ वर्तमान समस्या मैं जब से परिव्राजक स्वामी सत्यदेवजी का लेख सुनकर डाक्टर पानाजी के नाम से परिचित हुआ हूं तब से उनको एकवार मेरे नेत्र दिवाने की आंतरिक इच्छा थी। इन दिनों मेरे माखोंका धुधलापन बढ़ जाने के कारण शीघ्र ही बम्बई जाकर उक्त डाक्टर साहेब से परीक्षा करा लेने का विचार करता ही था कि एकाएक समाचार. पत्रों में यहाँ के जैनी भाइयों में परस्पर धैमनस्य पढ़ कर कलह के विकट स्वरूप होनेका भौर पुलिस तक की सहायता लेने की नौबत मा जाने का समाचार सुनकर चिन्ता हुई। __मस्तु, मैं नागपुर मेल से रवाना हुमा और यथासमय बोरीबंदर स्टेशन पहुंचा । प्लेटफार्म पर मेरे मित्र उपलित थे। वे मुझे अपने मोटर से बंगले में ले गये। वह एक स्वास्थ्यकर स्थान था और शहर से कुछ मील के फासले पर था। इसी कारण डाक्टरों से आंखें दिखलाने में श३ दिन लग गये। और भी कई कारणों से. वहां कई दिन ठहरना पड़ा। वहां के साधम्नी बन्धुओं में पहले ही दीक्षा' विषय पर जो हलचल मच रही थी इस पर प्रतिदिन संवाद पत्रिकाओं मोर हैंडबीलों से जनता के विचार और वहां की परिणिति मुझे भच्छी तरह उपलब्ध होती रही। मैं भी इस विषय पर सोचता रहा और वर्तमान समस्या पर जो कुछ मेरा अनुभव हुआ है वह दो अक्षरों में पाठकों के सम्मुख उपलित करने का साहस किया ई। माशा है हमारे विचारशील पाठकों को अरुचिकर न होगा। __ सहृदय बन्धुगण समझते होंगे कि आज 'दीक्षा' का जो प्रश्न. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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