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________________ ६०% नाटक जिनहर्षकृत वृत्ति । नरचन्द्रकृत टिप्पण | देवप्रभकृत । 1 'रहस्यादर्श' टीका । प्रबोधचन्द्रोदय - रत्नशेखरकृत वृत्ति जिनहर्षकृत वृत्ति । कामदास कृत वृत्ति । अनर्घराघव ― राघवाभ्युदय रामचन्द्रकृत टीका I दमयन्ती- चम्पू – प्रबोधनाणिक्यकृत टिप्पण | चंडपालकृत टीका । गुणविजयगणिकृत टीका । नलचम्बू - - -- तर्कभाषा— तकं फक्किका क्षमाकल्याणकृत तर्क रहस्यदीपिका - गुणरत्नसूरिकृत । न्यायाबदली— नरचन्द्रसूरिकृत टीका : राजशेखरसूरिकृत पंजिका । रत्नशेखरसूरिकृत टीका । - न्यायप्रवेश - हरिभद्रसूरिवृत टीका जयसिंहसूरिकृत टोका न्यायसार न्यायलंकार - अभयतिलककृत वृत्ति न्यायबोधिनी - नेतृ सिंहकृत टीका पातांजलयोगदर्शन – यशोविजयकृत टीका योगमाला - गुणाकरकृत लघुवृत्ति ज्योतिष न्याय शुभविजय कृत वार्त्तिक । टीका । — * प्रबन्धावली : जातक हष विजयकृत 'जातकदीपिका' वृत्ति लघुजातक - मतिसागरकृत 'बालावबोध' वचनिका ताजिकसार - सुमतिहर्षकृत वृत्ति वसन्तराजशकुन - भानुचन्द्रकृत टीका स्वप्नसप्ततिका सर्वदेवसूरिकृत वृत्ति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat - www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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