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________________ आगम (४३) भाग-7 "उत्तराध्ययन”- मूलसूत्र-४ (नियुक्ति: + चूर्णि:) अध्ययनं [३], मूलं [१...] / गाथा ||९४.../९५...|| नियुक्ति : [१४२-१७८/१४२-१७८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४३] मूलसूत्र-०३] उत्तराध्ययन-नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि: प्रत सूत्रांक श्रीउत्सरा चूणौँ [१] गाथा ||९४...|| चतुरंगीया ॥९५॥ . * अहवा रमणसीलो वट्टगुलियादीहि, एतेहिं कारणोहि' गाहा (१६१-१५६) कंठ्या, धम्मंतराइयाण कम्माण उदएणं दुल्लभं संजममिवि मा वरियं, सरीरहीणताए, जो पुण मिच्छादिडो सो पुण धम्मसुतिपि लणं ण तं सद्दहति, तत्थ गाथा 'मिच्छादिट्ठी जीवो' दलेभता (१६२-१५१) मिच्छादिवी उवदि, पवयणं न सहहति, असम्भावं प्रण उवदिई वा अणुवदिड वा सद्दहति, जो पुण सम्मदिट्ठी सो उवादिदं पवयणं सदहति,असम्भावं पुण अणाभोगेण (गुरुनिओगेण) वा सइहेज्जा, तत्थ अणाभोएण अविकोविओ गिहिएसु संकितो अनहिं पण्णवेज्जमाणो अपणो य दिडिएसु एसो जिणोयएसत्तिकाऊण अविकोविओ सद्दहेज्जा, गुरुणिआगेणंति गिण्इ ई)सि सो तं निण्हयदिट्टि गुरुणाऽऽणज्जितो सद्दहेज्जा, जहा य 'ततेणं तस्स जमालिस्स अणयारस्स एवमाइक्खमाणस्स एवं भास० एवं पण्ण एवं परूवमाणस्स अत्थेगतिया समणा णिग्गंथा एवमटुं सद्दहंति, तत्थ ण जे य एयमहूँ ण सद्दहति | | ते णं समर्ण भगवं महावीरे उपसं० विहरंति, तेसु पुण निण्हया इमे 'बहुरय पदेस' गाहा ( १६४---१५२) बहुरय ज मालीपभवा' गाहा (१६५-१५३) 'गंगातो दोकिरिया' (१६६-१५३) एतेर्सि जत्थ उप्पना दिडिओ ता |इमा जगराओ 'सावत्थी उसभ' गाथा (आव० ), इदाणिं एतेसिं कालो भण्णति 'चउद्दस सोलस वीसा | गाहाउ दो, इदाणि भण्णति- 'चोइस वासा तइया' गाथा, अक्खाणयसंगहणी, 'जेठा सुदंसण' गाहा (१६७-१५३) | एवं सत्तहवि निण्हयाण वत्तन्वया भाणियच्या जहा सामाइनिज्जुत्तीए, के प्रण निण्डए एत्थ आलावग पडिकहन्ति 'सोच्चा ॥१५॥ णेयाउयं मग्गं, यहवे परिभस्सति एवं अंगति गतं, अस्स चतुरंगनिष्फण्णं चातुरंगिज्ज, णामनिफनो निक्खेवो गतो, सुत्ताणुगमे सुत्तं उच्चारतव्वं, चत्तारि परमंगाईसिलोगो(९५सू.१८१)चत्तारीति संख्या,परि(र)मानं यस्य तत्परमं, अङ्ग्यतेऽनेनेत्यंगं, दीप अनुक्रम [९५...] -- - [108]
SR No.035057
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 07 Uttaradhyayan Niryukti Evam Churni Aagam 43
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages302
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size26 MB
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