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________________ आगम (४३) भाग-7 "उत्तराध्ययन”- मूलसूत्र-४ (नियुक्ति: + चूर्णि:) अध्ययनं [३], मूलं [१...] / गाथा ||९४.../९५...|| नियुक्ति : [१४२-१७८/१४२-१७८] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४३] मूलसूत्र-[०३] उत्तराध्ययन-नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि: प्रत सूत्रांक 1-%२ चणी % [१] गाथा % ॥ ९२ ||९४...||| - श्रीउत्तरात भवति, जेण सम्मदिट्ठीण मिच्छादिट्ठीण य खओवसमलद्धिओ बहुधा संभवंति, तास दुविहाणं चेव, जाओ सम्मदिट्ठी-|| अंगराण ताउ पसत्थाओ, जाओ मिच्छादिट्ठीणं लद्धीओ ताओ अप्पसस्थाओ, पारिणामियमाविक्कयं दुविह-आइट्ठमणाइ8 च, निक्षेपाः ३ अणाइटुं पारिणामियभावो, आदिट्ठ सातियपारिणामिओ य अणादियपरिणामिआ य, तत्थ सातियपारिणामिएक्कगं कसाय-| चतुरंगीये परिणयो जीयो कयायी, अणादिपरिणामियएक्कयं जीवो जीवभावपरिणतो सदा एवमादि, इह कतरेण एक्कएण अधिकारो?, | उच्यते, भिन्नरूवा एक्कगा चत्तारि सद्देण संगहिता भवंति, तेण संगहिक्कएण अधिकारो, सुयणाणं भावे खओवसमीए वमृतित्ति भावेक्कएण अधियारो, दुयादि परूवणावसरे परवेज्जति, एवं सेस परूवितं भवति, तम्हा चउक्कणिक्खेवो, सो सत्तविधो-'णाम ठवणा' गाथा (१४२-१४१) णामचत्तारि उवणा० दब० खेत्त० काल गणण भावच०, णामठवणाओ गयाओ, दवचउक्के || | चत्तारि दब्वाणि सचित्ताचित्तमीसगाणि, सचित्ते चत्तारि मणूसा अचित्ते चत्तारि करिसावणा मीसे चत्वारि मणूसा सालंकारा, खेत्ते चत्तारि आगासपदेसा, जमि वा खेत्ते चउक्को परूविज्जति, काले च रि समया आवलियाउ वा एवमादि, जीम वा कालेर चत्तारि परूविज्जति, गणणा एक्को दो तिथि चत्तारि, भावे एताणि चेव चत्तारि परमंगाणि, एत्थ गणणाचउक्केण अधिकारो,18 चत्तारित्ति गतं ।। इदाणिं अंगत्तिदारं, तत्थ गाहा-'णाम' गाहा-(१४३-१४१) णामठवणाओ गताओ,दध्वंगे इमा दारगाहा'गंधग ओसंधंग' गाहा- (१४४-१४१) दव्वंग छविहं, तं०-गंधंग ओसंघर्ग मजंग आउज्जंग सरीरंग जुद्धंग, एत्थ एगेग अपि ॥ ९२॥ अणेगप्पगारं, तत्थ गंधगे इमा गाथा 'जमदग्गि'गाहा (१४५ १४२) जमदग्गिणाम वालओ रिणुगा हरेणुगा चेव संवरणिय-18 | सिय णाम तमालपणं विष्णियाण मज्झो, मगंगो- गंधद्रव्यं रुक्खतणे मोचायं एताणि मल्लियावासिताणि कोडिं अग्पति, कोडी %2-10 दीप अनुक्रम [९५...] -CTER [105]
SR No.035057
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 07 Uttaradhyayan Niryukti Evam Churni Aagam 43
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages302
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size26 MB
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