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________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [१], उद्देशक [-1, मूलं [-1 / गाथा: [१], नियुक्ति: [३८...९४/३८-९५], भाष्यं [१-४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक गाथा ||१|| ARCH श्रीदश- जोगो संपओगो तेण अप्पिएण समंततो संपउत्तो तस्स विपयोगाभिकखी सतिसमण्णागते यावि भवइ, सतिसमण्णागते णाम अभ्यन्तरे वैकालिक चित्तनिरोहो काऊं शायद , जहा कह णाम मम एतेसु अणिडेसु विसएमु सह संजोगो न होज्जति, तेसु अणि द्वेसु विसयादिसु पओसंडू तपास चूर्णी । समावण्णा अप्पत्तम इ8सु परमगिद्धिमावण्णा रागहोसबसगओ नियमा उदयकिलिनध पावकम्मरयं उपचिणाइति अदृस्सा। ध्यानम् १अध्ययन पढमो भेदो गतो १२ मणुष्णसंपयोगसंपउचो तस्स अविष्पयोगाभिकखी सइसमन्नागए याचि भवइ, सदाइसु पिसएम परमपमोद-18 मावनो अणिहेसु पदोसमावण्णो तप्पच्चइयस्स रागदोस० अजाणमाणो गओ इव सलिलउल्लियंगो पावकम्मरयमलं उपचिणोतित्ति अट्टस्स वितिओ भेदो गो२। आयंकसंपयोगसंपाउचो तस्स विप्पयोगामिकंखी सतिसमन्त्रागते, तत्व आतंको णाम आसुकारी,in तं जरो अतीसारो मू(सा)स सज्जहओ एवमादि, आतंकगबणेण रोगोवि सइओ चेव, सोय दीहकालिओ भवइ, तं गडी अदुवा कोटी एवमादि, तत्थ वेदणानिमित्तं आयंकरोगेसु पदोसमावष्णो आरुग्गभिकंखी रागद्दोसवसगओ हाणुगओ निवसंतो असुभ-18 कम्मरयमल उपचिणोति, अज्झाणस्स तइओ भेदो गओ ३ । परिझपकामभोगसंपउत्ते तस्स अविप्पजोगभिखी सतिसमण्णा-I दिगए यावि भवइ, तत्थ परिझति वा पत्थणंति वा गिद्धित्ति वा अभिलासोति वा लेप्पचि या कंखंति वा एगट्ठा, तत्थ काम | गहणेण सहरूवा य गहिया, भोगग्गहणेण गंधरसफरिसा गहिया, एतेसिं कामभोगाणं जा पत्थणा सा परिक्षा. परिज्झिउ | नाम अणुगओ, जहा लोगे अम्भेहि अणुगतओ अभंतओ भण्णइ एवं सोवि काममोगपिवासाए परिम्भज्माणगतो परिज्झितो भण्णइ, ततो सो रागदोसोवगओ नियमा असुहकम्मबंधउत्ति भवइ, एवं चउबिधपि अट्ट भणियं, एवं पुण अट्टज्माण को झायही अविरयदेसविरय पमनसंजया य झाएंति, सीसो आइ-कहमेतं नज्जही जह एस अहूं झायइत्ति न वा झायति', आयरिश्रो भणइ-11 R दीप अनुक्रम C+ [43]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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