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________________ आगम (४२) प्रत सूत्राक H गाथा |||| दीप अनुक्रम [8] भाग-6 “दशवैकालिक”- मूलसूत्र - ३ (निर्युक्तिः + भाष्य |+चूर्णि:) निर्युक्ति: [ ३८... ९४/३८-९५], भाष्यं [१-४] अध्ययनं [१], उद्देशक [-], मूलं [-] / गाथा: [ १ ], पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिताः आगमसूत्र - [४२] मूलसूत्र- [०३] दशवैकालिक निर्युक्तिः एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि श्रीदशवैकालिक चण १ अध्ययने भवइ, तं० वाघाइमं निव्वाघाइमंच, तत्थ वाघाइमं नाम जो आउगं पहुष्प तमेच बला उचकमे सिंघवग्घतरच्छादि कारणेस वाव अभिदुओ या पाओवगमणं करेह एवं वाघातिमं निव्वषामं नाम सुतत्थतदुभयाणि गण्हिऊण अय्वोच्छित्तिनिमित्तं व वाएऊण तओ पच्छा जरापरिणयस्स भवइ, एवं निव्वाघाइमं इंगिणिमरणं णाम सयमेव उन्चत्तणपरियचणादीणि करेति चउ व्विहाहारविवज्जिय च परपडियरणविवज्जियं च । इदाणिभत्तपच्चक्खाणं, तं नियमा सपठिकम्मं, सपडिकम्मं णाम उच्चचण | ॥ २२ ॥ ट्रें परियचणादीषि असद्दुस्स वा सन्बं कीरह, अणसणं समन्तं ॥ ऊमोयरिया णाम ओमभावो नाम, ऊति वृचं भवति, सा य दुविद्दाः दवे भावे य, तत्थ दबोमोदरिया उपकरणे भचे पाणे य, तत्थ उपकरणे ताव एगवत्थधारितं एवमादि, भत्तपाणा मोदरिया प्पणा सुप्यमाषेण कवलेणं पंच विकप्पा भवति, तंजा-अप् अबडो मोयरिया दुभागोमोयरिया पमाणोमोदरिया | किंचूणामयरिया इति इयाणि एका अप्पाहार अबदुभागप्रमाणकिचूणोमोयरियाणं पंचवि विभागो भागतो, तत्थ चब्बीसं लंबणा पमाणजुनाओमोदरिया, एसोमोदरिया उत्था भण, ताओ प्रमाणचातो ओमोदरिया विष्णुं अप्पाहारअवदुभागोमोदरियाणं निष्फथ्री भण्णा, पंचमा नामनिष्फण्णादेव किंचूणोमोदरियचि भष्णति, एतेसिं पंच उम्रोदरियाणं निदरिसणं, तत्थ अप्पाहारोमोदरिया नाम जण अप्पमरं कुरुछीए पुष्णं बहुतरं ऊपं, पमाणोमोयरियाए तिभागो, अबहोमोयरिया णाम पमाणजुचोमोदरियाए अवति वा अर्द्धति वा एमडा, दुयामोमोदरिया णाम पमाणोमोदरियं विद्या छिंदिऊण एवं भाग छऊण दो भागा गहिया हुभायोमोयरिया भवइ, पमाणोदरिया नाम बत्तीस कवला पुरिसस्स आहारो संपुष्णो, तस्स चउत्थो भागो हड्डिज्जद, सेसा वउदीसं कवला पमाणजुत्तोमोदरिया भवर, किंचूपो मोरिया णास किंचूणो आहारोचि वृत्तं नाम अप्पणा [35] वाह्येऽवमौदरिका ॥ २२ ॥
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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