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________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य|+चूर्णि:) अध्ययनं [४], उद्देशक H. मूलं [१-१५] / गाथा: [३२-५९/४७-७५], नियुक्ति: [२२०-२३४/२१६-२३३], भाष्यं [५-६०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत श्रीदश- वैकालिका चूर्णी. सूत्रांक [१-१५] गाथा ||३२५९|| ॥१५३॥ नो भावओ, भावओ नो दब्बओ जहा कोऽपि चिंतेति को जाणइ कयावि सूरो उद्देइ झ्याणि चव भुंजामि, सो य सूरो पुनिषष्ठस्योत्तरचैव उढिओ मेहादिणा आवरिओ नावधारिजइ जहा उढिओत्ति, अहबा रा मुंजामित्ति संकप्पेति, न चेव संपची जाया, तस्स गुणता भावओ राईभोयणं णो दव्वओ, दवओवि भावओवि आउट्टियाए राई मुंजइ, उत्थो भंगो मुबो, 'छठे भंते! वए उवडिओमि सव्वाओ राईभोयणाओ वेरमण' एत्थ सीसो आइ-पंच महब्बयाणि जिणपवयणे सिद्धाणि, तो किमयं राईभोयण महम्बएसु वणिज्जमाणेसु भणियंति ?, आयरिय आह-पुरिमपच्छिमगाण जिणवराणं काले पुरिसविसेसं पप्प पट्टवियं, तत्थ पुरिमजिष्णकाले पुरिसा उज्जुजडा पच्छिमजिणकाले पुरिसा वंकजडा, अतो निमित्तं महब्बयाण उवरि ठवियं, जेण तं महन्त्रयमिव मन्वंता ण पिल्लेहिंति, मज्झिमगाणं पुण एवं उत्तरगुणेसु कहिये, किं कारणं ?, जेण ते उज्जपण्णत्तणेण सुहं चेव परिहरति 'इच्चेयाति' (९-१४९ ) इतिसद्दो परिसमत्तीए वट्टइ, एयाई नाम जाणि इयाणि चेव हेवा भणियाण एताणि पंचवि रातीमोयणवेरमणछट्ठाणि 'अत्तहियट्ठाए उवसंपज्जिताण विहरामि'अत्ताहियं नाम मोक्खो भण्णइ, सेसाणि देवादीणि ठाणाणि बहुदुक्खाणि अप्पसुहाणि य, कही, जम्हा तत्थवि इस्सरो इस्सरतरो इस्सरतमो एवमादी हीणमज्झिमउत्तिमविसेसा उचलभति, अणेगतियाणि य सोक्खाणि, मोक्खे य एते दोसा नस्थि, तम्हा तस्स अट्ठयाए एयाणि पंच महब्वयाणि राईभोयणवेरमणछट्ठाई अचहियट्ठाए उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, उपसंपज्जित्ताणं विहरामि नाम ताणि आरुहिऊग अणुपालयंतो अब्भुज्जएण विहारेण * ॥१५३॥ अणिस्सियं गामनगरपट्टणाईणि विहरिस्सामि, अहवा गणहरा भगवतो सगासे पंचमहब्बयाणं अर्थ सोऊण एवं भणति- 'उबसंपज्जिताण विहरिस्सामि ।। दीप अनुक्रम [३२-७५] [166]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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