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________________ आगम (४२) भाग-6 “दशवैकालिक'- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [३], उद्देशक H, मूलं H / गाथा: [१७-३१/१७-३१], नियुक्ति: [१८०-२१७/१७८-२१५], भाष्यं [४...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक श्रीदश- - चूणा ३ अध्ययने गाथा ||१७ ॥१०४॥ मंडेउ, तत्थ य देवदत्ता णाम गणिया पुरिसवेस्सिणी बहहिं रायसेविपुत्तादीहिं मग्गिता, णेच्छद, तस्स तं रूवसमुदयं दळु खुभिया, अर्थ कथा पडियदासियाए गंतण तीय भाऊए कहियं जहा दारिया सुंदरजुवाणे दिट्टि देह, तओ सा भणइ-एवं मम गिह अणुवरोहेण एज्जह, हेव भत्तवलं करेज्जह, तहेवागया, सतियो उपयोगो की, तइयदिवसे बुद्धिमतो अमच्चपुतो संदिट्ठो-अज्ज तुमे भत्तपरिब्धयओ दायनो, एवं भवउत्ति सो गओ करणसालं, तत्थ य सतिओ दिवसो बबहारम्स छिज्जंतस्स, परिच्छेद ण गच्छइ, दो सबत्तीओ, तासि भत्ता उबरओ, एकाए सुओ अथि, इतरी अपुता, सा तं दारयं नेहेणं उपनरइ, भणइ य-मम पुनी, पुत्तमाया भणइ-मम, तार्सि न परिमिछज्जा, तण भणिय- अहं छिदामि ववहार, दारगं दुहा कज्जउ, देब्बपि दुहा एव, पुत्तमाया भणइन में दवेण कज्ज, दारगो तीएवि भवउ, जीवंत पासीहामि तं, इयरी तुसिणीया अच्छइ, पुनो ताहे पुत्तमायाए दिण्णो, तहेव सहस्स उपयोगो, % चउत्थे दिवसे रायपुत्तो भपिओ- अज्ज रायपुन ! तुन्भेहिं पुष्णाहिएहि जोगचरण बहियचं, एवं भवउत्ति, तओ रायपुत्तो तेसि अंतियाओ निग्गंतुं उजाणे ठिओ, तम्मि य नगरे अपुचो राया मओ, मि रुक्खछायाए रायपुत्लो निवणो सा ण ओयत्तति, तआ आसण तस्साचार ठाइऊण हामय राया य अभिसिनो, अणगाणि सनसहम्माणि जाताणि, एवं अन्धुष्पनी भवर, दवावला त्तणत्ति दारं गतं । इयाणि सामभेददंडउयप्पयाणेहिं चउहिवि जहा अन्थो विढप्पड़, एत्थ उदाहरणं सियालो, नेणा भमंतण हत्थी मओ दिट्टो, सो चितइ-लद्धा मए, उपआएण ताव णिच्छदेण खाइयवो जाब सीहो आगओ, तेण चितिष- सचिदृण ठाइयब एतम्स, तण भणिय- अरे भानिणज्ज ! अन्छिज्जति', सियालेण भणिय- आमं माम!, सीहो भणइ-किमयं मयंति, १०४॥ सियालो भणइ- हन्दी, ऋण मारिओ, बग्घेण, मीही चिंतेइ- कदमहं ऊणनातीएण मारियं भक्खयामित्ति गओ सीहो, नवरं दीप अनुक्रम [१७-३१] M [117]
SR No.035056
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages398
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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