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________________ आगम (४०) भाग-4 “आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 2 अध्ययनं १, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [९४९-९५१/९४९-९५१], भाष्यं [१५१...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 प्रत सूत्रांक - दीप अनुक्रम [१] नमस्कार चिंतति-णूण देवीए को अण्णयरो आहणतित्ति, आगता भणति-सक्कारेयवओ, रण्णो तेसिं च पारिणामिया बुद्धी । आमलगं परिणामिव्याख्यायां का कित्तिम, एगेण णातं, अकालो, वियो होहिति ॥ मणिम्मि सप्पो पक्षीणं अंडगाणि खाति रुक्खं विलम्गिता, तत्थ गिद्धण आलयंका की ॥५६७|| बिलग्यो, मारिओ, तत्थ मणी पडितो, हेट्ठा कूबो, तं पाणितं रचीभूतं, कूवातो गीणितं साभावितं, दारएणं थेरस्स कहितं, तेण & विलग्गिऊण गहितं ।। सप्पो चंडकोसिओ चितेति-एरिसो महप्पा || खग्गो सावगपुत्तो जोव्यणबलुम्मत्तो धम्मं गच्छति, मतो खग्गीसु उववो, पट्ठस्स दोहिनि पासेहिं जथा पक्खरा तथा चम्माणि लंबंति, अंडबीते चउमुहप्पहे जणं मारेति, साहुणो य तेणेव ॐ ट्र पहेण अइक्कमंति, बेगेण आगतो, तेएण ण तरति अल्लवितुं, चिंतेति, जाती संभरिया, पच्चक्खाणं देवलोगगमण ॥ धूभे वेसा लीए णगरीए णगरणाभीए मुणिसुब्बयसामिस्स धूभो, तस्स गुणेण कूणियस्स ण पडति, देवता आगता आगासे, कूणियं मणति-समणे जइ कूलवारए, मागहिया गणिय रमेहिती। राया त असोगचंदए, वेसालि नगरि गहेस्सती ॥१॥ सोमग्गिज्जति, का तस्स उप्पत्ती-एगस्स आयरियस्स चेल्लओ अविणाओ, आयरिओ अंबाडेति, बेरं बहति, अण्णदा आयरिया सिद्धसिलं तेण समं बंदगा | विलग्गा, ओयरंताणं पवाए सिला मुका, दिट्ठा, आयरिएणं पादा ओसारिया, इहरा मारितो होतो, साबो दिण्णो-दुरात्मा इत्थीहितो ये विणस्सिहिसिचि, मिच्छावादी भवतुतिकातुं तापसासमे अच्छति, णदीए कूलए आतावेति, पंथन्मासे जो सत्थो एति ततो टू आहारो होति, गदीकूलए आयावेमाणस्स णदी अण्णतो पवुढा, तेण कूलवालओ जातो, तत्थ अच्छतओ आगमितो, गणियाओIKI ॥५६७॥ सद्दाबियाओ, एगा भणति-अहं आणमि, कवडसाविगा जाया, सत्येण गता, वंदति, उद्दाणे भोतिगमि चेहयाई बंदामि, तुम्भे य सुता, आगया मि, पारणए मोदगा संजोइया, अतिसारो जातो, पयोगेण ठवियो, उन्वतणादीहिं संभिणं चित्तं, आणितो, (276)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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