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________________ आगम (४०) भाग-4 “आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) 2 अध्ययनं १, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति : [९१७-९१८/९१७-९२०], भाष्यं [१५१...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 + प्रत सूत्रांक नमस्कारगतो, सा यऽणेण संभरिया, किरा य से जाता, ताहे पुच्छति-तं भत्तग कोपि एत्थ पडिच्छति ?, तेहिं कहितं-जहा पडिच्छति, ताहेमायायां व्याख्यायो रज्जए आसंदतो उत्तारिओ, पढम सुत्तं उत्तारियं, पच्छा पुनो, पुणो वितियओ, ततियएण सहप्पणा ओतिष्णा, ताहे सो तुट्ठो, 11 दागिहसामिणी कता । एवं सा पंडिया, णाई, लोमं तहेब जाव कोलमिणि पंडितिता, किह - एगा कोलिगिणी कुमारी, तीसे माता॥५२५॥ पितरो गाम गताणि, सा एकलिया अच्छति, चोरो य गिह पविट्ठो, सा अप्पणो परिपदणयं करेति-अहं मातुलपुत्तस्स दिज्जि17 हामि, तो मम पुत्तो जाहिति, तस्स चंदआत्ति णाम कज्जिहिति, तो अहं सदावेंस्सामि-एह चंद्रा, तं सुणेचा सएज्झगचंदो द सदं करेंता आगतो, चोरी गट्ठो, सा पंडिया पाहं । पुणो भणति-सा कुलपुत्तगदारिया पंडिता, कहं १, वसंतपुरं णगर जियसत्तू सराया, तस्स कुलपुत्तओ, तस्स कूलधूता, राया मणति, जथा- जो ममं असंतेण पचियावेति तस्स भोग देमि, सो कुलपुत्तो ४. अण्णदा ओमूरे घरं गतो, धूता पुच्छति- किं ओसूरे आगतत्ति, तेण सिहूं, राया भणति- जो असंतेण पत्तियावेति तस्स भोग दादेमि, तेण ओमरो जातोत्ति, सा मणति- अहं पत्तियावेमि, तेण रनो मुलं नीता, सा रबो अक्खति- अहं बडकुमारी, अण्णदा मातुलपुत्तस्स दिण्णा, मम य माता पिता पबसिता, सो पाहुणओ आगतो, हिदएण ममंति किण्ण करेमि', ताहे पाहुणं कर्त, सो| दय रतिं सप्पेण खइतो, मतो, णीतो मए सुसाणं, तत्थ सिवादीणि भीमाणि उहिताणि, राया भणति- कई ण भीता, सा8 भणति जति सच्चं होतं, जितो राया, वाणियदारिया णेपुरइतिया सा पंडितिया विलक्खाइया य, एवमादीणि पंचअक्खाणगस- | ॥५२॥ ताणि अक्खाति, रची विगता णिप्पिच्छितो मुक्को, सेणेण गहितो, दोण्हं सेणाण भंडताण असोगवणियाए पडितो पेसिल्लियपुत्तेण दिडो, तेण भणितो- संगोवाहि अहं ते कर्ज काहामि, वेण संगोवितो, अण्णस्स रज्जे दिज्जमाणे भिंडमए मयूरे विलग्गऊणं रत्रिं दीप अनुक्रम (234)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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