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________________ आगम (४०) प्रत सूत्रांक H दीप अनुक्रम H भाग - 4 "आवश्यक" - मूलसूत्र- १ (निर्युक्तिः+चूर्णि:) 2 मूलं [- /गाथा -], निर्युक्तिः [ ८५९/८५१] आयं [१५०...]]] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिताः आगमसूत्र - [४०] मूलसूत्र [१] आवश्यकनिर्युक्तिः एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 श्री आवश्यक चूर्णी उपोद्घात नियुक्ती ॥४९० ॥ अध्ययनं H 3 पुण अवस्ससमोहतका अत्थित्तिकाउं, एवं चैव देसविरतिएवि णवरं सव्वलोगो गत्थि एवं सुतेऽवि सव्वलोके नान्थे, चरितं जथा सम्मतं, केवलिस्स दो सामाइयगाणि संमत्तचरिताणि, तेण लोको सब्बो मंगति, अहवा इमा अण्णा फासणविधी-लोको सचचोदसभागे कीरति हेड्डा, उबरिं च सत्त चैव, कहं १, रतणप्पभा जाब से उदासंतरं, एवं सव्वं पढमो भागो एवं सेसासुवि एते सच भागा, उचरिं इमा बिही-रतणप्पभाए उपरिमतलाओ आरम्भ जाव सोहम्मो एस पढमो भागो, सोहम्मगाणं चिमाणानं | उवरिं जाव सूर्णकुमारमाहिंदा बितिओ, एवं तितीओ बंभलोगलंतओ, चउत्थो महासुकसहस्सारो, पंचमो आणतादी, चउरो कप्पा छट्टो, गेवेज्जा सेसो जान लोगंतो सतमो एसा विधी अहवा रतणप्पभादीपुढची सत्त पतराणि कता उबरुवरि ठविता जथा चकतिरिविडी, सत्तमा किर लोगंत फुसति, एवं हेडाबि अहवा रज्जुविहाणेण सत्त भागा कीरंति, सयंभूरमणसमुहसुयीवक्षमाणार्थ रज्जुए सत्त अहोलोगो अधियाओ, उड्डलोगो ऊणओ होति रगणातो, तत्थ संमचरित्रापटिपण्णओ चोदसवि फुसति केवलिसमुग्धातं पच्च, देसविरतो पंच उचरिं संमचचरितसहियसुतपडिवण्णओ सतवि फुसति, उवरिमो छउमत्थो जो सुतपडिवण्णओ इह समोहतो इलिकादिहतेण सव्वट्टसिद्धे उबवज्जति सो सत्त, सचमाए वा, ऊणा सत्त केवलसुतपडिवण्णओ, उवरिमगेविज्जे वा सम्मतसुतपडिवण्णओ उचरिं हेट्ठा य पंच, देसविरओ हेड्डा ण उववज्जति तेणं पंच उपरि अच्चुतं जा इति, एवं वेत्तजा फुसणा भणिता । इदाणिं एतेसिं चउन्हें सामाइयाणं कर्तारं सामाइयं केवइएहिं जीवेहिं पुढं १, पत्तपुष्वंति भणितं होतित्ति, भण्णतिसब्वजीवेहिं० ॥ ८-१७७ ।। ८६० ।। सुतं भिच्छादिट्ठीवि लब्मति तेण सव्वजीवेहिं सुतं फासितं संमतं चरितं च सब्ब (199) सामायिकबता स्पर्शना ||४९० ॥
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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