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________________ आगम (४०) भाग-4 "आवश्यक'- मूलसूत्र अध्ययनं , मूलं - गाथा-], नियुक्ति : [८४१-८४७/८४१-८४७], भाष्यं [१५०...] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 या शाणमद्रा प्रत सत्राक 18. पणसेहिं दालिमहि सालेहि वालेहिं तमालेहिं पियएहि पियंगूहिं पारेवएहिं रायरुक्खेहि दिरुक्खेहिं सव्यतो समंता संपरिक्खिते, आवश्यकटतेणं तिलता जाव पंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलबंतो जाव बीयवंतो अणुपुथ्वमुजातायलबट्टभावपरिणता सोभित- चूणा बरंकुरग्गहिरा निच्च कुसुमिता जाव बढेसयग्गधरा सुतंबरहिणमदणसालकोहल एवमादि जथा वणसंडपादवा जाव अभिरूवा । ते उपस्थित रणतिलया जाच नंदिरुक्खा अण्णाहिं बहूहि पउमलत्महिं नागलताहि असोगलताहिं चंपयलताहि चूतलयाहिं वणलताहिं वासं-| नियुक्ती तियलताहिं अतिमुत्तयलताहिं कुंदलताहि सोमलताहिं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ता, ताओ णे पउमलताओ जाव सम० लताओ ॥४७॥ निच्च कुसुमिताओ जाव बढिसयधरीओ संपिडितदरितभमरमधुकरीपहकरपरिलेंतमत्तछप्पदकुसुमासवलोलमहुकरिगणगुमगुमेन्तगु जतदेसभागाओ संपिडियनिहारिमं जाव मुयंतीओं पासातीयाओ जाब पडिरूवाओतस्स णं असोगबरपादवस्स उरि अडट्ठमंगलगा पण्णत्ता, तंजथा-सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत्त बद्धमाणय भदासण कलस मच्छ दप्पण सवरतणामया पासादीया जाब पडिरूवा। तस्स णं असोगवरपादवस्स उवरि बहवे किण्हचामरज्झया, एवं नीललोहितहालिहसुकिल्लचामरज्झया अच्छा सण्हा रुष्पवट्टवइरामयदंडा जलयामलगंधिया सुरूवा। तस्स पी असोगवरपादयस्स उरि बहवे छत्तादिछत्ता पडागातिपढागाओ घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थया पउमहत्थया एवं कुमुयणलिणसुभगसोगंधियपुंडरीयहत्थया सतपत्तसहस्सपत्तहत्थया सब्बरयणामया 18 अच्छा जाब सउज्जोया पासादीया । तस्स णं असोगवरपादवस्स हेड्डा एत्थ णं महेगे पुढविसिलापट्टए पण्णत्ते, ईसीखंघसमल्लीणे विक्संभुस्सेहसुप्पमाणे कण्हे अंजणयषणकुचलयहलधरकोसेज्जसरिसआकासकेसकज्जलकक्केतणइंदनीलरिडगअसिकुसुमष्पगासे भिंग- जणभंगभेदरिद्वयनीलगुलियगवलातिरेगभमरनिकुरंबभूते चुप्फलअसणकसणधणनीलुप्पलपत्तनिगरमरगतसासगगणहितरासिवण्णे | दीप अनुक्रम ४७८|| (187)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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