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________________ आगम (४०) भाग-4 "आवश्यक'- मूलसूत्र अध्ययनं , मूलं - /गाथा-], नियुक्ति: [५०२-५०४/५०२-५०५], भाष्यं [११४...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४०]मूलसूत्र [१] आवश्यकनियुक्ति: एवं जिनभद्रगणिरचिता चूर्णि-2 प्रत सत्राक उग्गविसे डाहजरकारए जहा कामदेवस्स, तेहिवि ण सका । पच्छा मूसए विउब्बइ, ते तिक्खाहि दाढाहिं दसति, खंडाणि यI संगमक आवश्यक अवणेत्ता तत्थेव बोसिरति मुत्तपुरिस, तो अतुला वेयणा । जाहे ण सका ताहे हत्थिरूवं विउव्यति, जहा कामदेवे, तेज हस्थिरवेणस M कृता पूणा सोडाए गहाय सत्तद्रुतले आगासे उब्बिहित्ता पच्छा दंतमुसलेहिं पडिच्छति, पुणोऽवि भूमीए ओविंधति, चलणतलेहिं मंदरगरुएहिं उपसर्माः मलेति । जाहे ण सका ताहे हस्थिणियारूवं विउव्वति, ताहे हत्थिणिया सुंडएहिं दंतेहिं विधति फालेति य, पच्छा कातितेण सिंचति । तिमि य मुत्तचिखल्ले खारे पाडेता चलणेहिं मलेति । जाहे ण सका ताहे पिसायरूवं विउव्यात, जहा कामदेवस्स, तेण उपसग्ग ॥३०॥ करति । जाहे ण सका ताहे बग्घरूवं विउधति, सो दाढाहि य नक्खेहि य फालेति, खारकाइएण य सिंचति । जाहे ण सका ताहे IN सिद्धत्थरायरूवं विउन्नति, सो कट्ठाणि कलुणाणि बिलवति-एहि पुत्तगा1, विमासा, मा उज्झाहि । ताहे तिसलाविभासा | जाहे मण सका ताहे मूतं, किह ?, सो ततो खंधाबारे विउन्नति, सो परिपेरंतेसु आवासितो, तत्थ सूतो पत्थरे अलभंतो दोण्हवि पादाण जामझ वज्जरिंग जालेत्ता पायाण उपरि उक्खलियं काउं पयइओ । जाहे एएणवि ण सका तओ पक्कणं विउन्वति, सो ताणि पंजरगाणि बाहासु गलए य कमेनु य ओलएति, ते सउणा गातं तुंडहिं खायति विघंति य, सनं काइयं च चोसिरति । पच्छा। खरवायं विउन्नति, जेण सको मंदरोवि चालेउ, न पुण सामी चलइ, तेणुविहिता २ पाडेति । पच्छा कलंकलितावार्य विउव्यति, | तेण जहा चकाइद्धओ तहा भमाडिज्जइ, णत्तिवेतं वा । एवंपि ण सका ताहे कालचकं विउव्वति, तं विउब्धिऊण उड्डे गगणग-18॥२०५।। लं गतो एत्तादेणं मारेमित्ति मुयति वज्जासणिसनिमं, ज मंदरपि चुरेज्जा, तेण पहारेण भगवं वाव निन्चुडो जाव अग्गणहा हत्थाणं । जाहे तेणविण सको ताहे चिंतेति-न सको एस मारेउंति अणुलोमे करेमि । ताहे सामाणियदेविट्टि देवो दाएति, सोडा दीप अनुक्रम ॐ (14)
SR No.035054
Book TitleSachoornik Aagam Suttaani 05 Aavashyak 2 Niryukti Evam Churni Aagam 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages328
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size26 MB
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